रिटायरमेंट के बाद आर्थिक स्थिरता बनाए रखना हर व्यक्ति की प्राथमिकता होती है। ऐसे में नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) एक भरोसेमंद और लंबी अवधि का निवेश ऑप्शन साबित होता है। यह न केवल सुरक्षित रिटायरमेंट फंड तैयार करने में मदद करता है बल्कि टैक्स बेनिफिट भी प्रदान करता है। जनवरी 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू हुआ यह सिस्टम 2009 में आम नागरिकों के लिए भी खोला गया। NPS में निवेशक अपने कामकाजी जीवन के दौरान नियमित रूप से योगदान देकर 60 वर्ष की उम्र में एक बड़ी राशि और पेंशन का लाभ उठा सकते हैं।
इसे भी पढ़ें- माइकल हसी ने किया हैरान करने वाला दावा, बोले- मैं बना सकता था सचिन तेंदुलकर से 5000 रन ज्यादा…
NPS में निवेश के ऑप्शन
NPS में निवेशकों को तीन मुख्य परिसंपत्तियों इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करने का मौका मिलता है। इसमें निवेश के दो तरीके उपलब्ध हैं, ऑटो च्वाइस और एक्टिव च्वाइस। दोनों ही ऑप्शन अपने-अपने फायदे और जोखिम स्तर के साथ आते हैं। फर्क बस इतना है कि निवेश का फैसला कौन लेता है, आप खुद या आपका फंड मैनेजर।
ऑटो च्वाइस क्या है?
अगर आप बाजार के उतार-चढ़ाव को लेकर अनिश्चित हैं या निवेश की समझ नहीं रखते, तो ऑटो च्वाइस आपके लिए बेहतर ऑप्शन है। इस ऑप्शन में फंड मैनेजर आपके निवेश को आपके जीवनचक्र के आधार पर मैनेज करता है। इसमें तीन प्रकार के लाइफ साइकिल फंड होते हैं-
कंजरवेटिव, जिसमें अधिकतम 25% इक्विटी निवेश की अनुमति होती है; मॉडरेट, जिसमें 50% तक इक्विटी निवेश किया जा सकता है; और एग्रेसिव, जिसमें इक्विटी निवेश 75% तक जा सकता है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, इक्विटी का अनुपात अपने आप घटता जाता है ताकि जोखिम कम हो सके। यह उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो स्थिर रिटर्न और कम जोखिम चाहते हैं।
एक्टिव च्वाइस क्या है?
अगर आपको शेयर बाजार, बॉन्ड्स और सिक्योरिटीज की अच्छी जानकारी है और आप अपने निवेश को खुद मैनेज करना चाहते हैं, तो एक्टिव च्वाइस आपके लिए सही विकल्प है। इस मॉडल में आप तय करते हैं कि आपकी पूंजी का कितना प्रतिशत किस एसेट क्लास में लगाया जाए। हालांकि, इक्विटी में अधिकतम 75% तक ही निवेश की अनुमति है। एक्टिव च्वाइस उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो मार्केट की स्थिति के अनुसार अपने निवेश पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकते हैं और उच्च रिटर्न की संभावनाएं तलाशते हैं।
इसे भी पढ़ें- टीम इंडिया के खिलाफ मुकाबले से पहले ऑस्ट्रेलिया को बड़ा झटका, स्टार गेंदबाज चोट के कारण पूरी वनडे सीरीज से बाहर
किसे कौन सा ऑप्शन चुनना चाहिए?
अगर आप निवेश की शुरुआत कर रहे हैं या मार्केट के रुझानों को नहीं समझते तो ऑटो च्वाइस आपके लिए बेहतर रहेगा। इसमें विशेषज्ञ फंड मैनेजर आपकी पूंजी को सही अनुपात में विभाजित करते हैं। जैसे-जैसे समय के साथ आपकी मार्केट समझ बढ़े, आप एक्टिव च्वाइस पर स्विच कर सकते हैं।
वहीं अगर आप मार्केट के उतार-चढ़ाव को समझने में सक्षम हैं और पोर्टफोलियो को खुद संतुलित कर सकते हैं, तो एक्टिव च्वाइस आपके लिए लाभकारी हो सकता है। लेकिन इसके लिए तीन बातों पर ध्यान देना जरूरी है। क्या आप अलग-अलग एसेट क्लास की वैल्यूएशन कर सकते हैं, क्या NPS आपके कुल निवेश पोर्टफोलियो का सिर्फ एक हिस्सा है, और क्या आप समय-समय पर पोर्टफोलियो में बदलाव करने में सहज हैं। अगर इन तीनों सवालों का जवाब हां है, तो एक्टिव च्वाइस आपके लिए सही ऑप्शन हो सकता है।