केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSME) क्षेत्र को मजबूती देने के लिए एक नई पहल की है। इस योजना के तहत छोटे उद्यमियों को अब अपने कारोबार को बढ़ाने और वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आसानी से कर्ज मिल सकेगा। एक फरवरी को पेश किए गए आम बजट 2025 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘एमई-कार्ड’ (Micro Enterprises Card) योजना की घोषणा की, जो देश के लाखों छोटे कारोबारियों के लिए बड़ा बदलाव साबित हो सकती है।
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एमई-कार्ड क्या है और इसका उद्देश्य
एमई-कार्ड योजना विशेष रूप से उन सूक्ष्म उद्यमों के लिए शुरू की गई है जो उद्यम पोर्टल (Udyam Portal) पर रजिस्टर्ड हैं। इस कार्ड के माध्यम से छोटे व्यवसायी 5 लाख रुपये तक की रकम पा सकते हैं। पहले साल में सरकार 10 लाख एमई-कार्ड जारी करने का लक्ष्य रख रही है। योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे उद्यमों को तुरंत पूंजी की मदद उपलब्ध कराना और बैंकों से ऋण लेने की प्रक्रिया को सरल बनाना है। इससे उन उद्यमियों को राहत मिलेगी, जो अक्सर कागजी प्रक्रिया और लंबी मंजूरी के कारण कारोबार शुरू करने में देरी का सामना करते हैं।
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की दिशा में कदम
वित्त मंत्रालय के अनुसार, एमई-कार्ड न सिर्फ लोन की सुविधा देगा बल्कि यह डिजिटल भुगतान को भी प्रोत्साहित करेगा। इस कार्ड के माध्यम से व्यापारी अपने व्यापारिक खर्च, कच्चे माल की खरीद और अन्य वर्किंग कैपिटल जरूरतों को पूरा कर पाएंगे। कार्ड को यूपीआई (UPI) और नेशनल क्रेडिट गारंटी प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा, जिससे ट्रांजेक्शन और भी आसान और सुरक्षित हो जाएगा। बैंक अपने लोन स्वीकृति के लिए अपनी आंतरिक नीतियों के तहत प्रोसेसिंग शुल्क ले सकेंगे।
MSME के लिए क्रेडिट गारंटी सीमा बढ़ी
बजट में वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि क्रेडिट गारंटी कवर को 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये किया जा रहा है। इस बदलाव से आने वाले पांच सालों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज मिलने की संभावना है। इससे MSME क्षेत्र में निवेश और रोजगार दोनों में बढ़ौतरी होगी।
निर्यात उन्मुख इकाइयों के लिए राहत
सरकार ने एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड MSME इकाइयों के लिए टर्म लोन की सीमा भी बढ़ा दी है। अब ये इकाइयां 20 करोड़ रुपये तक का टर्म लोन ले सकेंगी। इससे भारत की निर्यात क्षमता में बड़ा इजाफा होगा और वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति मजबूत होगी।
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निवेश और टर्नओवर की नई सीमाएं
एमएसएमई वर्गीकरण की सीमाओं में भी संशोधन किया गया है। अब निवेश सीमा को 2.5 गुना और टर्नओवर सीमा को 2 गुना बढ़ाया जाएगा। यह बदलाव उद्यमों को स्केलेबल बनाने, तकनीकी उन्नयन को प्रोत्साहन देने और पूंजी तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है। इससे MSME सेक्टर को नई ऊर्जा मिलेगी और नए स्टार्टअप्स को विकास का अवसर मिलेगा।