Income Tax Notice. लोगों के साथ जाने अनजाने में ऐसी गलती हो ही जाती है, जिससे परेशानी बढ़ सकती है। जिससे आप सोचते हैं कि आपके सेविंग्स अकाउंट में रोजाना के लेन-देन पर किसी की नजर नहीं है, तो यह बड़ी भूल है। आयकर विभाग (Income Tax Department) अब बैंकों से जुड़ी हर बड़ी गतिविधि पर नजर रखता है। Statement of Financial Transactions (SFT) के तहत बैंक, एनबीएफसी और अन्य वित्तीय संस्थाएं हर संदिग्ध ट्रांजेक्शन की जानकारी सीधे विभाग को भेजती हैं।
दरअसल आप को बता दें कि फाइनेंसियल कामकाज के लिए पैन कार्ड बना है, जिससे पैसे के लेनदेन में अगर आपने एक “छोटी गलती” भी की, तो आपके खाते पर जांच शुरू हो सकती है।
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1. सालभर में बड़ा कैश डिपॉजिट
अगर आप एक वित्त वर्ष में अपने सभी सेविंग अकाउंट्स में ₹10 लाख से अधिक नकद जमा करते हैं, तो बैंक इसकी रिपोर्ट आयकर विभाग को भेज देता है। यह अवैध नहीं है, लेकिन आपको पैसे का स्रोत (जैसे बिक्री की रसीद या गिफ्ट लेटर) साबित करना होगा।
2. क्रेडिट कार्ड बिल का बड़ा भुगतान
अगर आप ₹1 लाख से अधिक नकद या ₹10 लाख से ज्यादा कुल (ऑनलाइन या चेक) भुगतान से क्रेडिट कार्ड बिल चुकाते हैं, तो यह ट्रांजेक्शन SFT रिपोर्ट में दर्ज होता है। विभाग आपके खर्चों की तुलना आपकी घोषित आय से करता है।
3. बार-बार या बड़ा कैश विड्रॉल
अगर आप अपने सेविंग अकाउंट से बार-बार बड़ी रकम निकालते हैं जो आपकी इनकम के हिसाब से मेल नहीं खाती, तो यह संदिग्ध मानी जा सकती है। ऐसे मामलों में हर लेन-देन का रिकॉर्ड और कारण (जैसे बिजनेस खर्च) रखना जरूरी है।
4. संपत्ति की खरीद-बिक्री
₹30 लाख या उससे अधिक मूल्य की संपत्ति खरीदने या बेचने पर रजिस्ट्री कार्यालय से इसकी सूचना सीधे आयकर विभाग को दी जाती है। विभाग फिर दोनों पक्षों के ITR (Income Tax Return) से मिलान करता है।
5. बंद खाता अचानक सक्रिय होना
लंबे समय से निष्क्रिय पड़ा खाता अगर अचानक बड़े ट्रांजेक्शन दिखाने लगे, तो बैंक इसे संदिग्ध लेनदेन मान सकता है। अगर यह विरासत या व्यापारिक कारण से हुआ है, तो उसका दस्तावेज जरूर रखें।
6. विदेशी मुद्रा (Forex) ट्रांजेक्शन
अगर किसी व्यक्ति ने एक साल में ₹10 लाख या उससे अधिक विदेशी मुद्रा खर्च या प्राप्त की, तो रिपोर्ट बनती है। अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड या फॉरेक्स कार्ड से यह खर्च घोषित आय से मेल न खाए, तो जांच हो सकती है।
7. ब्याज आय में गड़बड़ी
अगर बैंक द्वारा रिपोर्ट की गई ब्याज आय (Form 26AS या AIS) और आपके ITR में दिखाई गई राशि में फर्क है, तो विभाग नोटिस भेज सकता है। इसलिए ब्याज और निवेश की जानकारी हर साल जांचना जरूरी है।
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8. ब्याज, डिविडेंड और कैपिटल गेन का अंतर
बैंक, NBFC और म्यूचुअल फंड आपके ब्याज और डिविडेंड की जानकारी रिपोर्ट करते हैं। अगर आपकी ITR में यह डेटा मेल नहीं खाता, तो ऑटोमेटेड टैक्स वेरिफिकेशन शुरू हो सकता है। अगर आपके पास कई सेविंग अकाउंट हैं और आपने कुल ब्याज आय ITR में नहीं दिखाई, तो यह टैक्स चोरी मानी जा सकती है।