भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन से जुड़ी नीतियों में बड़ा बदलाव करने का प्रस्ताव दिया है। केंद्रीय बैंक अब अलग-अलग तरह के लोन पर लगने वाले रिस्क वेटेज को उधार लेने वाले की जोखिम प्रोफाइल से जोड़ने की योजना बना रहा है। ये बदलाव क्रेडिट कार्ड, होम लोन, कॉरपोरेट लोन, रियल एस्टेट लोन और MSME लोन से संबंधित हैं। आरबीआई का उद्देश्य है कि कर्ज चुकाने की अच्छी आदत वाले ग्राहकों को फायदा मिले और बैंकों को भी अधिक पूंजी उपलब्ध हो सके, ताकि वे आसानी से लोन जारी कर सकें।
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क्रेडिट कार्ड धारकों के लिए बड़ी राहत
जो ग्राहक अपने क्रेडिट कार्ड के बिल समय पर भरते हैं, उनके लिए आरबीआई ने खास छूट का प्रस्ताव रखा है। जिन यूजर्स ने पिछले 12 महीनों में अपने सभी बिल समय पर चुकाए हैं, उन्हें रेगुलेटरी रिटेल पोर्टफोलियो में रखा जाएगा। इससे उनके लोन पर लगने वाला रिस्क वेटेज 125% से घटकर 75% हो जाएगा। इसका मतलब है कि बैंकों को इन ग्राहकों पर कम पूंजी रखनी होगी और अच्छे भुगतान करने वालों को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, जो ग्राहक अपने बिल समय पर नहीं चुकाते, उनके लिए रिस्क वेटेज 125% ही बना रहेगा। ये नियम अप्रैल 2027 से लागू होंगे।
होम लोन के नियमों में बड़ा बदलाव
होम लोन के लिए आरबीआई ने लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात और उधारकर्ता के पास मौजूद होम लोन की संख्या के आधार पर रिस्क वेटेज तय करने का प्रस्ताव रखा है। अब तक सभी होम लोन पर 35-50% रिस्क वेटेज एक समान था, लेकिन नए नियमों के अनुसार यह LTV और लोन की संख्या पर निर्भर करेगा।
अगर किसी व्यक्ति के पास दो घरों तक लोन है तो LTV अनुपात के आधार पर रिस्क वेटेज 20% से लेकर 40% तक रहेगा। तीसरे घर के लोन पर रिस्क वेटेज बढ़कर 60% तक हो सकता है। इसके अलावा तीन करोड़ रुपये से अधिक के हाउसिंग लोन पर अतिरिक्त 5% चार्ज भी लगाया जाएगा। इसका उद्देश्य है बड़े लोन पर जोखिम नियंत्रण और बैंकिंग सेक्टर की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना।
पर्सनल लोन पर सख्ती जारी रहेगी
आरबीआई ने एजुकेशन, हाउसिंग और व्हीकल लोन को छोड़कर बाकी सभी पर्सनल लोन पर 125% रिस्क वेटेज बनाए रखने का फैसला किया है। इसका अर्थ यह है कि इस श्रेणी के लोन के लिए बैंकों को अधिक पूंजी रखनी होगी, जिससे डिफॉल्ट के मामलों में सुरक्षा बनी रहे। हालांकि, नए नियम लागू होने के बाद बैंकों की लोन देने की क्षमता में सुधार आएगा और वास्तविक डिफॉल्ट व्यवहार के अनुसार रिस्क का आकलन अधिक सटीक तरीके से हो सकेगा।
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क्या होगा नए नियमों का असर?
इन प्रस्तावित बदलावों के बाद बैंक अपने ग्राहकों की भुगतान क्षमता और व्यवहार के आधार पर लोन की शर्तें तय कर पाएंगे। इससे वित्तीय अनुशासन बढ़ेगा और बेहतर क्रेडिट हिस्ट्री वाले लोगों को ब्याज दरों या लोन अप्रूवल में आसानी मिलेगी। साथ ही, बैंकों के पास अधिक पूंजी उपलब्ध होने से वे MSME और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में भी ज्यादा लोन दे पाएंगे।