Rare Old Notes and Coins: भारत में पुराने नोटों और सिक्कों को संजोने का जुनून लगातार बढ़ता जा रहा है। कई लोग इन्हें सिर्फ शौक के तौर पर नहीं, बल्कि निवेश के रूप में भी देखते हैं। बाजार में अब एक या दो रुपये के नोट शायद ही दिखाई दें, लेकिन इनकी दुर्लभता ही इन्हें अमूल्य बना देती है। पुराने समय में छपे नोटों की नीलामी आज करोड़ों रुपये के कारोबार में बदल चुकी है।
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1917 के एक रुपये के नोट की कीमत 12 लाख रुपये
इतिहास गवाह है कि ब्रिटिश शासनकाल में जारी की गई भारतीय मुद्रा आज भी लोगों को आकर्षित करती है। हाल ही में किंग जॉर्ज पंचम के शासनकाल के दौरान 1917 में जारी हुए एक रुपये के नोटों की एक गड्डी नीलामी में 12 लाख रुपये की कीमत पर बिकी। इस बंडल में सिर्फ 25 नोट थे। ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से हुई इस बिक्री में टैक्स और कमीशन जोड़ने के बाद कुल कीमत 13.5 लाख रुपये तक पहुंच गई। नीलामीकर्ता राजेंद्र मारु के अनुसार, यह अब तक के सबसे ऊंचे दामों में से एक है जो किसी भारतीय रुपये के नोट के लिए चुकाया गया।
1994 के दो रुपये के नोटों की गड्डी 10 लाख में बिकी
इतिहास प्रेमियों के लिए सिर्फ एक रुपये का नोट ही नहीं, बल्कि 1994 में किंग जॉर्ज छठे के शासनकाल के समय छपे दो रुपये के नोट भी एक खजाना साबित हुए। इस गड्डी में 100 नोट शामिल थे, जिनकी वास्तविक कीमत तो सिर्फ 200 रुपये थी, लेकिन इनकी नीलामी 10 लाख रुपये में हुई। नीलामी में भाग लेने वाले व्यक्ति ने कुल 11 लाख रुपये चुकाए। जानकारी के अनुसार, इन नोटों को खरीदने वाले दोनों व्यक्ति उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं।
सिक्कों की नीलामी में भी लगती हैं ऊंची बोलियां
पुराने सिक्कों की नीलामी भी अब भारतीय बाजारों में खूब चर्चा में रहती है। पिछले साल किंग विलियम चौथे के शासनकाल में जारी एक दुर्लभ सिक्का 11.5 लाख रुपये में नीलाम हुआ। इसे बेंगलुरु के उद्योगपति अरविंद कुमार ने खरीदा। बताया जा रहा है कि यह भारत में किसी सिक्के के लिए दी गई अब तक की सबसे बड़ी बोली थी।
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क्यों बढ़ रहा है पुराने नोट और सिक्कों का महत्व?
दुर्लभ और ऐतिहासिक नोटों-सिक्कों की कीमत उनकी उम्र, छपाई की स्थिति और सीमित उपलब्धता पर निर्भर करती है। कई कलेक्टर इन्हें ऐतिहासिक धरोहर मानते हैं और बड़ी रकम चुकाकर इन्हें अपने पास रखना गर्व की बात समझते हैं। यही वजह है कि पुराने नोटों और सिक्कों की कीमतें समय के साथ आसमान छू रही हैं।