हर साल सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश करने की तिथि पर विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। यह पर्व बिहार, बंगाल, झारखंड सहित देश के कई हिस्सों में खास उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है जिन्हें शिल्प और निर्माण का देवता माना जाता है। इसी दिन साल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारीगरों और दस्तकारों के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की थी।
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अब तक लाखों कारीगरों को मिला लाभ
सरकार की इस योजना से अब तक लगभग 30 लाख कारीगर और दस्तकार जुड़ चुके हैं। इनमें से 26 लाख से अधिक लोगों का कौशल सत्यापन पूरा हो चुका है और करीब 22.67 लाख लाभार्थी बेसिक ट्रेनिंग ले चुके हैं। योजना का उद्देश्य पारंपरिक कौशल को नई पहचान देना और कारीगरों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाना है।
योजना में शामिल हैं 18 पारंपरिक ट्रेड
इस योजना में सुनार, लोहार, चर्मकार, बढ़ई, नाई समेत कुल 18 पारंपरिक ट्रेड शामिल किए गए हैं। कोई भी पात्र कारीगर योजना में पंजीकरण कर लाभ उठा सकता है। खास बात यह है कि सरकार इसमें बिना गारंटी के कर्ज उपलब्ध कराती है ताकि पैसों की कमी किसी भी हुनरमंद को आगे बढ़ने से न रोक सके।
प्रशिक्षण के साथ दी जाती है आर्थिक सहायता
योजना के तहत कारीगरों को मास्टर ट्रेनरों द्वारा बेसिक और एडवांस ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान प्रतिभागियों को 500 रुपये प्रतिदिन का स्टाइपेंड मिलता है। साथ ही 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, डिजिटल ट्रांजैक्शन इंसेंटिव, पीएम विश्वकर्मा सर्टिफिकेट और पहचान पत्र भी प्रदान किया जाता है।
दो चरणों में दिया जाता है लोन
कारीगर अगर अपना बिजनेस शुरू करना चाहता है तो उसे पहले चरण में 1 लाख रुपये का लोन उपलब्ध कराया जाता है। कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए दूसरे चरण में दो लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है। यह लोन सिर्फ 5 प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध होता है। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से आधार आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के जरिए की जाती है।
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कारीगरों के लिए नया भविष्य
सरकार का उद्देश्य है कि कारीगरों को आधुनिक औजार, वित्तीय सहायता और बाजार से जोड़कर उनके काम की गुणवत्ता और उत्पादकता को बढ़ाया जाए। यह योजना गांव और शहर दोनों के काम-धंधों को नई ऊर्जा देने में सहायक बन रही है।