भारत सरकार समय-समय पर देश के अलग-अलग वर्गों के लिए कई योजनाएं शुरू करती है ताकि समाज के हर तबके तक विकास की रोशनी पहुंच सके। इन्हीं योजनाओं में एक है प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना (PM Vishwakarma Scheme), जिसे साल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था। यह योजना खासतौर पर उन परंपरागत कारीगरों और शिल्पकारों के लिए लाई गई है जो अपने कौशल और मेहनत के बल पर आजीविका कमाते हैं।
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PM Vishwakarma Scheme का उद्देश्य
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का मुख्य उद्देश्य देश के पारंपरिक काम करने वाले कारीगरों को न सिर्फ आर्थिक सहायता देना है, बल्कि उनके काम को पहचान दिलाना और उन्हें आधुनिक साधनों से जोड़ना भी है। सरकार चाहती है कि इन हुनरमंद लोगों को भी आधुनिक टेक्नोलॉजी और ट्रेनिंग के जरिए आगे बढ़ने का मौका मिले ताकि वे अपने कौशल को और बेहतर कर सकें और अपनी कमाई के स्रोत बढ़ा सकें।
किन लोगों को मिलता है योजना का लाभ
यह योजना देश के उन लोगों के लिए है जो पीढ़ियों से अपने हुनर के जरिए जीवनयापन कर रहे हैं। इसमें बढ़ई, लोहार, सुनार, नाई, राजमिस्त्री, दर्जी, जुलाहा, माली, कुम्हार और मोची जैसे पारंपरिक पेशे वाले लोग शामिल हैं। सरकार ने इन सभी को “विश्वकर्मा” की श्रेणी में रखते हुए उन्हें वित्तीय और तकनीकी सहयोग देने का निर्णय लिया है ताकि उनका व्यवसाय टिकाऊ बन सके।
PM Vishwakarma Scheme में ऐसे करें आवेदन
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लाभ उठाने के लिए सबसे पहले उम्मीदवार को पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होता है। इसके लिए आधार कार्ड, बैंक खाता और मोबाइल नंबर आवश्यक हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद स्थानीय प्रशासन या संबंधित विभाग के अधिकारी आपके काम की जांच करते हैं। सत्यापन के बाद लाभार्थी को योजना का लाभ मिलना शुरू होता है।
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क्या-क्या मिलते हैं लाभार्थियों को फायदे
रजिस्ट्रेशन पूरा होने के बाद लाभार्थियों को उनकी स्किल के अनुसार कई प्रकार की सुविधाएं दी जाती हैं। सबसे पहले उन्हें 15,000 रुपये तक की टूलकिट सहायता दी जाती है ताकि वे अपने काम के लिए जरूरी उपकरण खरीद सकें। इसके अलावा ट्रेनिंग के दौरान प्रतिदिन 500 रुपये का स्टाइपेंड भी दिया जाता है। योजना के तहत लाभार्थी को कम ब्याज दर पर एक लाख रुपये तक का लोन मिलता है, जिसे आगे चलकर दो लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
योजना से क्या हुआ बदलाव
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना देश के लाखों पारंपरिक कामगारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न सिर्फ उनके कौशल को पहचान मिल रही है बल्कि आधुनिक उपकरणों और प्रशिक्षण से उनकी उत्पादकता भी बढ़ रही है। आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर यह योजना एक मजबूत आधार तैयार कर रही है।