भारत में सरसों तेल के दामों में जोरदार उछाल आने के बाद पांच सालों में पहली बार इसका आयात किया गया है। इस बार सरसों तेल का आयात सीधे संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से किया गया है। करीब 6000 टन तेल इस महीने कांडला पोर्ट पर पहुंचेगा। घरेलू बाजार में दाम तीन साल की ऊंचाई पर पहुंचने से सरकार और कंपनियों ने आयात का कदम उठाया है।
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भारत किन देशों से करता है तेल का आयात
भारत खाद्य तेलों के लिए कई देशों पर निर्भर है। पाम ऑयल का बड़ा हिस्सा इंडोनेशिया से आता है। मलेशिया और अर्जेंटीना से सोयाबीन ऑयल खरीदा जाता है। वहीं सूरजमुखी का तेल रूस और यूक्रेन से आता है। लेकिन सरसों तेल का आयात काफी समय से नहीं हुआ था।
सरसों तेल बना ‘खाने का सोना’
घरेलू बाजार में सरसों तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। जुलाई 2025 में इसकी दर 1.67 लाख रुपये प्रति टन तक पहुंच गई, जो फरवरी 2022 के बाद सबसे बड़ा उछाल है। पिछले साल की तुलना में सरसों तेल के दाम लगभग 34 प्रतिशत चढ़ चुके हैं। खुदरा बाजार में सरसों तेल का भाव 135 रुपये प्रति किलो से बढ़कर इस साल 160 रुपये प्रति किलो हो गया है। नई फसल आने में अभी मार्च 2026 तक का समय है, जिससे कीमतें और भी ऊंची रह सकती हैं।
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मिलावट की समस्या और उपभोक्ता की चिंता
सुनहेरी किरण ऑयल्स के हर्षित जैन का कहना है कि सरसों तेल शुद्ध और केमिकल-फ्री होता है, लेकिन इसकी ऊंची कीमतों के कारण मिलावट की समस्या बढ़ रही है। सरसों की खली से निकला तेल और कनोला ऑयल की मिलावट सरसों तेल में की जा रही है। छोटे शहरों और गांवों में यह समस्या ज्यादा है। असली सरसों तेल का जायका कनोला तेल में नहीं मिलता। इसलिए जरूरी है कि सरकार सख्ती करे और उपभोक्ता भी ज्यादा सतर्क रहें।