देश के तेल और तिलहन बाजार में बीते सप्ताह काफी हलचल देखने को मिली। त्योहारों के मौसम में बढ़ती मांग और सट्टेबाजी के कारण मूंगफली तेल और पाम-पाल्मोलिन के दामों में तेजी दर्ज की गई। वहीं, सरसों और बिनौला तेल के भावों में गिरावट आई। बाजार में दामों का यह उतार-चढ़ाव इस बात का संकेत है कि मांग और स्टॉक की स्थिति फिलहाल असंतुलित बनी हुई है।
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मूंगफली तेल और पाम-पाल्मोलिन में तेजी का असर
बीते सप्ताह मूंगफली तेल और पाम-पाल्मोलिन के दामों में मजबूती देखने को मिली। विशेषज्ञों के अनुसार, त्योहारी सीजन में इन तेलों की मांग बढ़ने के साथ सट्टेबाजी की गतिविधियों ने भी कीमतों को ऊपर धकेला। इस बढ़ी हुई मांग का असर बाजार के कई हिस्सों में दिखा, जिससे मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पिछले सप्ताह की तुलना में अधिक मजबूत होकर बंद हुए।
सरसों तेल और डीओसी की कमजोर मांग से बाजार दबाव में
सरसों तेल और डी-आयल्ड केक (DOC) की मांग कमजोर रही, जिससे इनके दामों में गिरावट आई। सरसों के ऊंचे भावों की वजह से उपभोक्ता इससे दूरी बनाए हुए हैं। वहीं निर्यात बाजार में DOC की मांग घटने से सोयाबीन तिलहन की आवक बढ़ी और बिनौला तेल के दाम नीचे आए। हालांकि, सरसों के भाव अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर हैं, लेकिन बाजार में स्टॉक अधिक और मांग कम होने से कीमतों पर दबाव बना हुआ है।
सोयाबीन तेल में हल्की तेजी
त्योहारी सीजन में दिल्ली बाजार में सोयाबीन तेल के दामों में मामूली सुधार देखने को मिला, लेकिन इंदौर और आयातित सोयाबीन डीगम तेल के भाव स्थिर रहे। विशेषज्ञ बताते हैं कि सोयाबीन से तेल की पैदावार बहुत कम होती है, जबकि इसका मुख्य लाभ डीओसी से मिलता है। डीओसी की कमजोर मांग ने किसानों को नुकसान पहुंचाया और सोयाबीन तिलहन के दामों में गिरावट दर्ज की गई।
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मूंगफली के दाम MSP से 18% तक नीचे
त्योहारी खरीदारी ने मूंगफली और इसके तेल की मांग को बढ़ाया, जिससे इस श्रेणी में कुछ सुधार देखने को मिला। हालांकि हकीकत यह है कि अच्छी गुणवत्ता वाली मूंगफली के हाजिर दाम अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 15 से 18 प्रतिशत तक नीचे चल रहे हैं। यह गिरावट किसानों की आय पर प्रतिकूल असर डाल रही है, जबकि उपभोक्ता बाजार में मूंगफली तेल की मांग बढ़ती जा रही है।