बेटियों को मिलेगी जमीन में बराबरी, ये राज्य सरकार बदलने जा रही है नियम!

Married Daughters Right in Agriculture Land: भारत में बेटियों को पिता की संपत्ति में हक देने को लेकर लंबे समय से बहस चलती रही है। 2005 में लागू हुए हिंदू उत्तराधिकार संशोधन कानून के तहत बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार मिल चुका है। लेकिन, खेती की ज़मीन (एग्रीकल्चर लैंड) के मामले में अब भी कई राज्यों में शादीशुदा बेटियों के साथ भेदभाव किया जाता है।

बता दें अभी तक उत्तर प्रदेश में भी ऐसा ही नियम लागू था। UP Revenue Code, 2006 के अनुसार, किसी किसान की मौत होने पर उसकी ज़मीन का हक उसकी पत्नी, बेटे और अविवाहित बेटियों को मिलता है। शादीशुदा बेटियों को केवल तब वारिस माना जाता है जब बाकी कोई उत्तराधिकारी न हो।

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यूपी सरकार खत्म करेगी भेदभाव

बता दें अब यूपी सरकार इस भेदभाव को खत्म करने की तैयारी में है। राजस्व परिषद ने एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसमें अविवाहित शब्द को हटाने की सिफारिश की गई है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर यह प्रस्ताव लागू हो गया, तो शादीशुदा बेटियों को भी खेती की ज़मीन में उतना ही हक मिलेगा जितना बेटों और अविवाहित बेटियों को मिलता है।

अगर यह बदलाव पास हो जाता है, तो उत्तर प्रदेश देश का तीसरा राज्य बन जाएगा जो शादीशुदा बेटियों को खेती की ज़मीन में बराबरी का अधिकार देगा। इससे पहले मध्य प्रदेश और राजस्थान में ऐसा बदलाव किया जा चुका है।

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बेटियों के लिए सरकार का बड़ा कदम

जानकारों के मुताबिक, सरकार का यह कदम गांव की बेटियों के लिए बड़ा बदलाव लाएगा। दरअसल गांवों में ज़मीन सिर्फ संपत्ति नहीं, बल्कि रोज़गार और सामाजिक सम्मान का भी स्रोत मानी जाती है।

बहरहाल यह प्रस्ताव कैबिनेट और विधानसभा की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। लेकिन अगर यह कानून बन गया, तो यूपी की बेटियां भी पैतृक खेतों की हक़दार बन जाएंगी, चाहे वे शादीशुदा हों या नहीं।

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