माता-पिता से मिली गोल्ड Gold Jewelery फ्री टैक्स है या टैक्सेबल? जानें पूरी जानकारी यहां

Gold Jewellery. देश में सोना सिर्फ एक धातु नहीं, बल्कि भावनाओं और परंपराओं से जुड़ा निवेश है। अक्सर मातापिता या दादा-दादी से बच्चों को गोल्ड ज्वेलरी विरासत में मिलती है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या यह ज्वेलरी टैक्स के दायरे में आती है? टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक, विरासत में मिली ज्वेलरी पर सीधा कोई टैक्स नहीं लगता, लेकिन इसे बेचने पर स्थिति बदल सकती है। इसके बारें में लोगों को कम जानकारी होती है। अन्य निवेश ऑप्सन के बजाए सोने में निवेश करना अच्छा माना जाता है।

विरासत में मिले गोल्ड पर लगेगा टैक्स?

आयकर नियमों के अनुसार, अगर आपको मातापिता या किसी नजदीकी रिश्तेदार से गोल्ड ज्वेलरी विरासत में मिलती है, तो उस पर कोई टैक्स नहीं देना होता। यानी आप इसे अपने पास रख सकते हैं और टैक्स देने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। हालांकि, इसका रिकॉर्ड संभालकर रखना जरूरी है ताकि भविष्य में अगर पूछताछ हो तो आप साबित कर सकें कि ज्वेलरी कहां से आई, जिसकी जानकारी देनी होगी।

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ऐसे लगता है कैपिटल गेन टैक्स

जब आप इस ज्वेलरी को बेचते हैं। गोल्ड को बेचने से जो फायदा (Profit) होता है, वह कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में आता है। इसके लिए ज्वेलरी की कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन यानी खरीद मूल्य जानना जरूरी है। अगर यह ज्वेलरी आपके माता-पिता ने 1 अप्रैल 2001 से पहले खरीदी थी, तो उस तारीख की फेयर मार्केट वैल्यू को खरीद मूल्य माना जा सकता है। कैपिटल गेन दो तरह का हो सकता है

  • शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन: अगर ज्वेलरी 3 साल के अंदर बेची जाती है।
  • लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन: अगर 3 साल के बाद बेची जाती है। लॉन्ग टर्म गेन पर इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है, जिससे टैक्स की राशि कम हो सकती है।

वेल्थ टैक्स से राहत

पहले गोल्ड पर वेल्थ टैक्स भी लागू होता था, लेकिन सरकार ने 2015 में इसे खत्म कर दिया। इसका मतलब है कि अब केवल बिक्री पर होने वाले कैपिटल गेन पर टैक्स देना होता है, न कि ज्वेलरी अपने पास रखने पर।

गिफ्ट में मिले सोने पर है ये नियम

आप के लिए ध्यान देने वाला बात यह है, कि मातापिता से मिली ज्वेलरी टैक्स-फ्री है, लेकिन अगर कोई दूसरा व्यक्ति आपको गोल्ड गिफ्ट करता है और उसकी कीमत ₹50,000 से ज्यादा है, तो यह आपकी टैक्सेबल इनकम मानी जाएगी। ऐसे में आपको उस पर इनकम टैक्स देना होगा। इसलिए गिफ्ट में मिले गोल्ड का डॉक्युमेंटेशन रखना भी उतना ही जरूरी है।

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ये दस्तावेज रखना जरूरी

भारत में गोल्ड ज्वेलरी अक्सर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती है। यह या तो उपहार के रूप में होता है या फिर वसीयत के तहत मिलता है। वसीयत की स्थिति में ज्वेलरी का रिकॉर्ड मौजूद रहता है, जिससे भविष्य में इसे बेचते समय आसानी रहती है। अगर कभी टैक्स विभाग पूछे कि ज्वेलरी आपके पास कैसे आई, तो आपके पास इसका सबूत होना जरूरी है।

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