Income Tax New Rules: साल 2026 में बदल जाएगा TDS फॉर्म, इनकम टैक्स के दूसरे नियम भी बदलेंगे

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के सदस्य (विधान) आरएन प्रबात ने कहा है कि इनकम टैक्स विभाग की सर्च के दौरान जब भी अधिकारियों द्वारा डिजिटल डेटा लिया जाएगा, उसका इस्तेमाल केवल डेटा सुरक्षा कानून और अन्य संबंधित कानूनों के दायरे में ही किया जाएगा। सरकार ने इनकम टैक्स के नए कानून को अधिसूचित कर दिया है और इसे एक अप्रैल 2026 से लागू करने की तैयारी पूरी कर ली गई है।

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सर्च में डिजिटल डेटा के इस्तेमाल के लिए बनेगा स्पष्ट दिशानिर्देश

नए कानून के तहत अब इनकम टैक्स अधिकारी सर्च के दौरान लैपटॉप, ईमेल और अन्य डिजिटल दस्तावेजों की जांच और जब्ती कर सकेंगे। आरएन प्रबात ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में डेटा के इस्तेमाल के लिए ठोस दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे ताकि किसी भी व्यक्ति की गोपनीयता का उल्लंघन न हो। सरकार जल्द ही डेटा सुरक्षा कानून को भी लागू करने जा रही है, जिससे टैक्स जांच के दौरान डिजिटल सूचनाओं का उपयोग पूरी तरह कानूनी दायरे में रहेगा।

करदाताओं के लिए प्रक्रिया होगी आसान

प्रबात के अनुसार, नए कानून के लागू होने से टैक्स से जुड़े प्रावधानों को समझना और उन पर अमल करना अब पहले की तुलना में काफी सरल हो जाएगा। कारोबारियों और वेतनभोगियों दोनों को इनकम टैक्स की प्रक्रिया में सहजता मिलेगी। सरकार इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) और टीडीएस (TDS) से जुड़े तिमाही फॉर्मेट को भी बदलने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही टैक्स अधिकारियों को नए प्रावधानों पर विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे पारदर्शी और प्रभावी तरीके से काम कर सकें।

कानून को आसान बनाना

सरकार का मुख्य उद्देश्य इनकम टैक्स कानून को सरल और स्पष्ट बनाना था। इसी वजह से मौजूदा इनकम टैक्स कानून, जिसमें 5.12 लाख शब्द थे, उसे घटाकर 2.67 लाख शब्दों में समेटा गया है। वहीं कानून के अध्यायों की संख्या 46 से घटाकर 23 कर दी गई है। यह बदलाव न सिर्फ समझ को आसान बनाता है बल्कि कानून का पालन करने को आसानी और स्पष्टता लाता है।

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आसान समझ के लिए बढ़ाई गई टेबलों की संख्या

नए इनकम टैक्स कानून में टेबल्स की संख्या 18 से बढ़ाकर 57 कर दी गई है ताकि लोग इन्हें देखकर प्रावधानों को आसानी से समझ सकें। इसके अलावा, कानून की भाषा में इस्तेमाल अस्पष्ट शब्दों को हटा दिया गया है और अनावश्यक प्रावधानों को समाप्त किया गया है। यह प्रयास करदाताओं के लिए नियमों को पारदर्शी और सरल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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