देश में घर खरीदना आम लोगों के लिए दिन-ब-दिन कठिन होता जा रहा है। एनरॉक कंज्यूमर सेंटिमेंट सर्वे 2025 के मुताबिक 81 फीसदी लोग घरों की बढ़ती कीमतों को सबसे बड़ी समस्या मान रहे हैं। पिछले दो साल में ही घरों की औसत कीमत में 50 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। साल 2023 की दूसरी तिमाही में जहां सात बड़े शहरों में औसत कीमत 6,001 रुपये प्रति वर्ग फीट थी, वहीं 2025 की दूसरी तिमाही तक यह बढ़कर 8,990 रुपये प्रति वर्ग फीट पहुंच गई।
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ग्राहकों की बढ़ती नाराजगी
सर्वे में सामने आया कि 62 फीसदी लोग घरों के उपलब्ध विकल्पों से खुश नहीं हैं और 92 फीसदी ग्राहकों ने प्रोजेक्ट की लोकेशन पर असंतोष जताया। एनरॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी के अनुसार हर शहर का अलग ट्रेंड देखने को मिला है, लेकिन ज्यादातर लोग अपने-अपने शहरों में बढ़ती कीमतों से परेशान हैं।
मुंबई में चिंता ज्यादा
मुंबई, जो भारत का सबसे महंगा रियल एस्टेट मार्केट माना जाता है, वहां 39 फीसदी लोगों ने तेजी से बढ़ती कीमतों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। वहीं 20 फीसदी ने कहा कि कीमतों से उन्हें खास फर्क नहीं पड़ता, जबकि 41 फीसदी लोगों ने आंशिक चिंता जताई। यह दिखाता है कि महंगे शहरों में भी खरीदारों की राय बंटी हुई है।
लग्जरी घरों की ओर झुकाव
इस सर्वे में करीब 8,250 लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें यह बात निकलकर सामने आई कि 90 लाख से 1.5 करोड़ रुपये के बीच के घरों की मांग सबसे ज्यादा है। यानी लोग प्रीमियम और लग्जरी सेगमेंट में निवेश करने की तरफ ज्यादा झुक रहे हैं। वहीं 25 फीसदी लोगों ने 45 से 90 लाख के बीच के घरों में रुचि दिखाई।
सस्ते घरों में घटती दिलचस्पी
45 लाख रुपये से कम कीमत वाले घर, जो अफोर्डेबल कैटेगरी में आते हैं, उनमें अब केवल 17 फीसदी ग्राहकों की दिलचस्पी रह गई है। जबकि साल 2020 की पहली छमाही में यह आंकड़ा 40 फीसदी था। इससे साफ है कि सस्ते घरों की मांग लगातार गिर रही है और लोग बड़े घरों की तलाश में हैं।
सस्ते घरों की सप्लाई में भी गिरावट
अनुज पुरी ने बताया कि टॉप 7 शहरों में अफोर्डेबल हाउसिंग की सप्लाई भी कम होती जा रही है। साल 2023 की पहली छमाही में यह 18 फीसदी थी, जो 2025 की पहली छमाही में घटकर 12 फीसदी रह गई। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सीमित जमीन, बढ़ता माइग्रेशन और तेजी से विकसित हो रहा इंफ्रास्ट्रक्चर इस कीमत वृद्धि की बड़ी वजह है।
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रेडी-टू-मूव घरों की घटती डिमांड
सर्वे के अनुसार इस साल रेडी-टू-मूव और नए लॉन्चेज के बीच अनुपात 16:29 रहा, जबकि 2024 की पहली छमाही में यह 20:25 था। यानी लोग अब नए प्रोजेक्ट्स की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और रेडी-टू-मूव घरों की मांग घट रही है।