आज के समय में निवेश के कई ऑप्शन मिल जाते है, जो वही ध्यान देने वाली बात यह है, लोगों का इस समय शेयर बाजार से संबंधित स्कीम में निवेश पसंदीदा ऑप्सन बनता जा रहा है, जिससे हर महीने को आ रहे आंकड़ों से पता चलता रहता है। तो वही म्यूचुअल फंड्स की दुनिया में सिस्टमैटेकि इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) सेफ माना जाता है।
आप को बता दें कि SIP करने वाले ज्यादातर लोग इक्विटी फंड्स और डेट फंड्स के बारे में जानते है, इक्विटी फंड्स में पैसा शेयर मार्केट में लगता है, जहां रिटर्न की संभावना ज्यादा होती है। हालांकि यहां पर जोखिम भी बड़ा होता है। जिससे अगर कोई डेट फंड्स अमूमन बॉन्ड्स और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं। इनमें रिस्क कम बल्कि रिटर्न भी सीमित होते हैं।
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जिससे अगर आप इन दोनों फंड का मिक्स फायदा उठाना चाहते हैं, तो आप के लिए कम जोखिम के साथ संतुलित रिटर्न तो आपके लिए हाइब्रिड फंड्स ऑप्सन हैं। यहां पर निवेश का एक हिस्सा इक्विटी में जाता है और दूसरा हिस्सा डेट में। जिससे इक्विटी से ग्रोथ मिलती है और डेट से सुरक्षा का फायदा मिलता है। तो वही अगस्त 2025 में हाइब्रिड फंड्स का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) बढ़कर करीब ₹8.9 लाख करोड़ हो गया।
हाइब्रिड फंड्स के प्रकार
आप को बता दें कि हाइब्रिड फंड्स के भी कई तरह होते हैं। जिसकी जानकारी यहां पर नीचे दी जा रही है।
- Aggressive Hybrid Fund – इसमें इक्विटी का हिस्सा ज्यादा रहता है और डेट कम।
- Conservative Hybrid Fund में डेट का हिस्सा बड़ा और इक्विटी छोटा होता है।
- Balanced Advantage Fund की खासियत यह है कि इसमें मार्केट की स्थिति के हिसाब से इक्विटी और डेट का अनुपात बदलता रहता है।
- Multi-Asset Fund भी होते हैं, जो इक्विटी और डेट के साथ गोल्ड जैसी दूसरी एसेट क्लास में भी पैसा लगाते हैं।
फायदे और नुकसान
अगर आप इस फंड में निवेश करने का प्लान कर रहे हैं तो फायदे और नुकसान के बारे में जान लेना चाहिए।
दरअसल आप को बता दें किइक्विटी फंड्स पूरी तरह शेयर मार्केट पर निर्भर रहते हैं, जिससे मार्केट गिरने पर इनका वैल्यू तेजी से घट सकती है। हालांकि इसके मुकाबले हाइब्रिड फंड्स में डेट हिस्सा नुकसान को कुछ हद तक संभाल लेता है। जिससे निवेशकों का यहां पर फायदा मिल सकता है। हाइब्रिड फंड्स में इक्विटी की मौजूदगी की वजह से रिटर्न की संभावना बेहतर रहती है
हाइब्रिड फंड्स रिस्क और रिटर्न के बीच संतुलन बनाए रखते हैं। नए निवेशकों के लिए ये आसान विकल्प हैं क्योंकि इन्हें मैनेज करना आसान होता है। लंबे समय तक रखने पर ये अच्छे रिटर्न भी दे सकते हैं।
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ध्यान रहे कि यह फंड भी पूरी तरह सुरक्षित विकल्प नहीं है। इक्विटी का हिस्सा हमेशा रिस्क का खतरा बना रहता है, कई बार इनका अनुपात आपकी निवेश जरूरत से मेल नहीं खा सकता। टैक्सेशन भी इक्विटी और डेट हिस्से पर निर्भर करता है, जिससे नए निवेशकों को इसकी कम जानकारी होने से परेशानी हो सकती है।