GST 2.0: ग्राहकों को इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिल सकती है बड़ी राहत, पर यहां बढ़ेंगी मुश्किलें

GST 2.0: 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में सरकार ने हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस ग्राहकों के लिए राहत भरा फैसला लिया है। अब तक इन पॉलिसियों पर 18 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता था, जो सीधे तौर पर प्रीमियम को महंगा बनाता था। लेकिन 22 सितंबर से यह जीएसटी पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।

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किन योजनाओं को मिलेगी राहत

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नई व्यवस्था के तहत सभी इंडिविजुअल यूलिप प्लान्स, फैमिली फ्लोटर प्लान्स और टर्म इंश्योरेंस पॉलिसियां जीएसटी से बाहर कर दी गई हैं। यानी अब ग्राहकों को प्रीमियम पर टैक्स की अतिरिक्त लागत नहीं चुकानी होगी।

इनपुट टैक्स क्रेडिट से कंपनियों को होगा नुकसान

बीमा कंपनियां अब एजेंट कमीशन, रीइंश्योरेंस और विज्ञापनों पर लगने वाले खर्च पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं उठा पाएंगी। पहले तक ये क्रेडिट कंपनियों के खर्च को काफी हद तक कम कर देता था। अब इसके बंद होने से कंपनियों पर अतिरिक्त लागत का बोझ बढ़ सकता है।

क्या प्रीमियम कम होगा या बढ़ेगा

विशेषज्ञों का अनुमान है कि आईटीसी के नुकसान की भरपाई के लिए बीमा कंपनियां 3 से 5 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ा सकती हैं। ऐसे में ग्राहकों को तुरंत राहत मिलने के बजाय प्रीमियम महंगा होने का खतरा है। अगर कंपनियां दरें बढ़ाती हैं तो जीएसटी खत्म होने के बावजूद ग्राहक पुराने स्तर का लाभ नहीं उठा पाएंगे।

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कंपनियों को मिली सलाह

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बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ बढ़ाना कंपनियों के लिए अंतिम उपाय होना चाहिए। अगर कंपनियां बेस प्रीमियम में बढ़ोतरी करती हैं तो बाजार में ग्राहकों की संख्या घट सकती है और इंश्योरेंस अपनाने में मुश्किलें आ सकती हैं। इसलिए कंपनियों को सरकार के इस कदम का पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए।

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