इस साल सोना और चांदी दोनों ही मेटल्स ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इसका सीधा असर इनके ईटीएफ पर देखने को मिला है। कम उम्र के निवेशक अब फिजिकल गोल्ड और सिल्वर खरीदने की बजाय ईटीएफ में निवेश करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। ईटीएफ न केवल सुरक्षित विकल्प है बल्कि इसमें खरीद-बिक्री की प्रक्रिया भी पूरी तरह पारदर्शी रहती है।
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शानदार रिटर्न से निवेशकों के पोर्टफोलियो मजबूत
साल 2025 में सिल्वर ईटीएफ का औसत रिटर्न 42 फीसदी तक पहुंचा जबकि गोल्ड ईटीएफ ने करीब 40 फीसदी का लाभ दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, जिसकी बड़ी वजह वैश्विक स्तर पर जियोपॉलिटिकल तनाव और ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता है। चांदी की कीमतें भी सोने के साथ-साथ बढ़ी हैं। खास बात यह है कि इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में चांदी की खपत लगातार बढ़ रही है और सप्लाई कम होने के कारण इसमें जोरदार तेजी देखी जा रही है।
पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन में बुलियन की अहमियत
वित्तीय सलाहकार मानते हैं कि पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के लिए गोल्ड और सिल्वर दोनों को शामिल करना जरूरी है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि कुल निवेश का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा बुलियन में होना चाहिए। यह शेयर बाजार की अस्थिरता में पोर्टफोलियो को सुरक्षा देता है। अगर किसी निवेशक के पास फिजिकल बुलियन नहीं है तो गोल्ड या सिल्वर ईटीएफ बेहतर विकल्प हो सकता है।
सोने-चांदी में तेजी का असर ईटीएफ पर
इस साल यूटीआई गोल्ड ईटीएफ ने सबसे ज्यादा 41 फीसदी रिटर्न दिया है। इसके बाद आदित्य बिड़ला एसएल गोल्ड ईटीएफ का रिटर्न 40.48 फीसदी और एसबीआई गोल्ड ईटीएफ का रिटर्न 38.22 फीसदी रहा। वहीं सिल्वर ईटीएफ की बात करें तो एचडीएफसी सिल्वर ईटीएफ एफओएफ ने 43.57 फीसदी का सबसे अधिक रिटर्न दिया। यूटीआई सिल्वर ईटीएफ ने 43.36 फीसदी रिटर्न अर्जित किया।
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सोना चांदी ईटीएफ में निवेश करना काफी आसान
गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ में निवेश आसान है क्योंकि इसमें ज्वेलरी की सुरक्षा की चिंता नहीं रहती। निवेश के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है और निवेशक चाहें तो एसआईपी के माध्यम से भी इसमें निवेश कर सकते हैं। हालांकि गोल्ड ईटीएफ के मुकाबले सिल्वर ईटीएफ में लिक्विडिटी थोड़ी कम है, लेकिन लंबी अवधि के निवेश के लिए यह बाधा नहीं बनती। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, अगले साल के मध्य तक चांदी 1.5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। सोने का आउटलुक भी पॉजिटिव बना हुआ है, जिससे आने वाले समय में दोनों मेटल्स में निवेश लाभकारी साबित हो सकता है।