EPFO ने बदले ये 5 खास नियम, अब कर्मचारियों को होगा बेहद बड़ा फायदा, जानें डिटेल

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। संगठन ने कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में 5 अहम बदलाव किए हैं जो सीधे आपकी भविष्य की पेंशन पर असर डालेंगे। यह बदलाव न सिर्फ पेंशन राशि को प्रभावित करेंगे बल्कि उसकी प्रक्रिया को भी सरल बनाएंगे।

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1- अब पेंशन की गणना होगी 5 साल के औसत वेतन पर

EPFO

पहले पेंशन की गणना कर्मचारी के अंतिम वेतन के आधार पर की जाती थी, जिससे उन कर्मचारियों को नुकसान होता था जिनका वेतन धीरे-धीरे बढ़ा था। अब EPFO ने नियमों में सुधार करते हुए पिछले 60 महीनों यानी पांच साल के औसत वेतन को आधार बनाया है। यह सुधार 1 सितंबर 2014 से लागू है, लेकिन अब संगठन ने इसकी गणना प्रक्रिया को पूरी तरह ऑटोमैटिक और साफ बना दिया है ताकि हर कर्मचारी को सही पेंशन मिल सके।

2- पेंशन लिमिट बढ़ाकर 15,000 रुपये महीना

पहले पेंशन की अधिकतम सीमा 7,500 रुपये प्रति माह थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद EPFO ने इसे बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति माह कर दिया है। इस बदलाव से उन कर्मचारियों को राहत मिलेगी जिनकी सैलरी अधिक थी लेकिन पेंशन लिमिट के कारण उन्हें कम रकम मिलती थी। अब अधिक कमाई करने वाले कर्मचारियों को भी उचित पेंशन का लाभ मिलेगा।

3- अब 50 साल की उम्र से शुरू कर सकेंगे पेंशन

पहले पेंशन पाने करने की उम्र 58 साल थी, जिसे घटाकर 50 साल कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब कर्मचारी 50 साल की उम्र से ही अपनी पेंशन लेना शुरू कर सकते हैं। हालांकि जो कर्मचारी जल्दी पेंशन लेना चुनेंगे, उनकी महीने की रकम थोड़ी कम होगी क्योंकि उन्हें यह लाभ पहले दिया जा रहा है। यह बदलाव उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है जो जल्दी रिटायरमेंट की योजना बनाते हैं।

4- पेंशन क्लेम प्रक्रिया अब पूरी तरह ऑनलाइन

डिजिटल इंडिया मिशन के तहत EPFO ने पेंशन क्लेम प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल कर दिया है। अब कर्मचारी घर बैठे EPFO की वेबसाइट या मोबाइल ऐप के जरिए अपना पेंशन क्लेम फॉर्म भर सकते हैं। आवश्यक दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं और स्टेटस भी ऑनलाइन ट्रैक कर सकते हैं। पहले जहां इस  प्रक्रिया में महीनों लगते थे, अब कुछ ही हफ्तों में पूरी हो जाएगी। इससे पारदर्शिता और सुविधा दोनों बढ़ी हैं।

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5- नौकरी बदलने पर नहीं होगा पेंशन का नुकसान

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EPFO ने पेंशन पोर्टेबिलिटी की प्रक्रिया को आसान बना दिया है। अब अगर कोई कर्मचारी नौकरी बदलता है तो उसकी पिछली सर्विस अपने आप नई नौकरी के रिकॉर्ड से जुड़ जाएगी। पहले इस प्रक्रिया में कठिनाइयां होती थीं, जिससे पेंशन की कैलकुलेशन पर प्रभाव पड़ता था। अब नया सिस्टम यह सुनिश्चित करेगा कि आपकी पूरी सर्विस अवधि एक साथ जोड़ी जाए और आपको पूरी पेंशन का लाभ मिले।

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