No Cost EMI benefits. त्योहारी सीजन आते ही ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे अमेजन और फ्लिपकार्ट जबरदस्त सेल ऑफर लॉन्च कर देती हैं। तो वही लोगों की शॉपिंग लिस्ट पहले से तैयार रहती है और मौका मिलते ही शॉपिंग कार्ट भर जाता है। ऐसे में अगर प्रोडक्ट्स नो कॉस्ट ईएमआई या सामान्य ईएमआई पर मिलने लगें, तो खरीदारी करना और आसान लगने लगता है। लेकिन अक्सर यही आसान ऑफर लंबे समय में आपकी जेब और क्रेडिट प्रोफाइल पर भारी पड़ सकता है। जिससे आप कर्ज में भी जा सकते हैं।
ग्राहकों को लुभाने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियां ऐसे ढेर प्रोडक्ट पर ऑफर संचालित करती है, जिससे लोगों को लगता है। कि सस्ते में चीजों को खरीदने का अच्छा अवसर मिल रहा है। हालांकि हकीकत कोसों दूर रहती है। जिससे ईएमआई, क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करते हैं। जो यह आप को एक ट्रैप में फंसा सकता है।
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ईएमआई पर शॉपिंग का असली खेल
कई बार हमें लगता है कि ईएमआई से प्रोडक्ट खरीदना समझदारी है, क्योंकि मासिक खर्च ज्यादा नहीं बढ़ता। लेकिन असली खेल क्रेडिट कार्ड की लिमिट में छिपा है। मान लीजिए आपके पास 2 लाख रुपये की क्रेडिट लिमिट है और आपने 1.2 लाख रुपये की शॉपिंग ईएमआई पर कर ली। भले ही आपकी किस्त हर महीने सिर्फ 15-20 हजार रुपये हो, लेकिन कार्ड लिमिट का 60% हिस्सा ब्लॉक हो चुका है। यही आपकी सबसे बड़ी गलती साबित हो सकती है।
क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो
क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो का आप को ध्यान रखना चाहिए। अपनी लिमिट का कितना हिस्सा इस्तेमाल कर लिया है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसे हमेशा 30% से नीचे रखना चाहिए। यानी अगर लिमिट 2 लाख है, तो कोशिश करें कि 60-70 हजार रुपये से ज्यादा कभी न खर्च करें। इससे आपकी क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत रहती है और बैंक या लोन कंपनियां आपको लो-रिस्क ग्राहक मानती हैं।
ईएमआई से जुड़ी आम गलतफहमी
कई लोग सोचते हैं कि अगर उनकी मासिक ईएमआई छोटी है, जैसे कार्ड लिमिट का 10% से भी कम, तो कोई समस्या नहीं है। लेकिन हकीकत ये है कि बैंक आपके ब्लॉक्ड लिमिट को ज्यादा अहमियत देते हैं। अगर आपने 50-60% तक लिमिट यूज कर ली, तो आप हाई-रिस्क कैटेगरी में आ जाते हैं। यही कारण है कि छोटी-छोटी ईएमआई भी आपके सिबिल स्कोर पर गहरा असर डाल देती हैं।
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खराब सिबिल स्कोर होने पर नुकसान
आप के लिए ध्यान देने वाली बात तो यह है कि सिबिल स्कोर बिगड़ने का असर केवल आपके क्रेडिट कार्ड तक सीमित नहीं रहता। इसके वजह से कई नुकसान हो सकते हैं।
- होम लोन या कार लोन लेने में दिक्कत आती है।
- बैंक आपको ज्यादा ब्याज दर पर लोन ऑफर करते हैं।
- कई बार आपका लोन सीधे-सीधे रिजेक्ट हो जाता है।
- क्रेडिट कार्ड लिमिट बढ़ने की संभावना बेहद कम हो जाती है।