असम सरकार ने अपने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के हित में एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को घोषणा की कि राज्य में यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) लागू की जा रही है। यह नई स्कीम केंद्र सरकार की हाल ही में पेश की गई पेंशन व्यवस्था का ही हिस्सा है। सरकार ने अपने हिस्से का योगदान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत करने का फैसला किया है। इस कदम से हजारों कर्मचारियों को आर्थिक रूप से अधिक स्थिर भविष्य सुनिश्चित होगा।
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कर्मचारियों को मिली विकल्प की स्वतंत्रता
मुख्यमंत्री सरमा ने स्पष्ट किया कि राज्य के सभी मौजूदा सरकारी कर्मचारियों को अपनी पसंद चुनने का अधिकार दिया जाएगा। इसके तहत कर्मचारियों को एक साल का समय मिलेगा, जिसमें वे यह तय कर सकते हैं कि वे पुरानी नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में रहना चाहते हैं या नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को अपनाना चाहते हैं। यदि कोई कर्मचारी नई स्कीम चुनता है, तो उसका जमा फंड स्वचालित रूप से NPS से UPS में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इस निर्णय से लंबे समय से चल रही NPS और OPS (Old Pension Scheme) के बीच की बहस पर विराम लगने की उम्मीद है।
नई स्कीम में सरकार की बढ़ी जिम्मेदारी
यूनिफाइड पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को अपने वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत योगदान करना होगा, जबकि राज्य सरकार अब 18.5 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी देगी। यह बढ़ी हुई हिस्सेदारी राज्य सरकार की ओर से कर्मचारियों के भविष्य के लिए एक बड़ा भरोसा है। इस स्कीम को विशेष रूप से 1 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त हुए सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू किया जाएगा, जिन्हें अब UPS अपनाने का विकल्प मिलेगा।
OPS से अलग है UPS की व्यवस्था
पुरानी पेंशन योजना (OPS) में कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद उनकी आखिरी बेसिक सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था। जबकि यूनिफाइड पेंशन स्कीम योगदान आधारित व्यवस्था है, जिसमें कर्मचारी और सरकार दोनों मिलकर पेंशन फंड का निर्माण करते हैं। इस कारण UPS को अधिक स्थायी और वित्तीय रूप से टिकाऊ मॉडल माना जा रहा है। यह व्यवस्था सरकार पर भविष्य के वित्तीय बोझ को कम करने के साथ-साथ कर्मचारियों को बेहतर सुरक्षा भी प्रदान करेगी।
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NPS और OPS विवाद पर लगा ब्रेक
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि UPS के लागू होने के बाद अब NPS और OPS को लेकर राज्य में जारी बहस समाप्त हो जाएगी। उन्होंने इसे ‘संतुलित पेंशन प्रणाली’ बताया जो कर्मचारियों और सरकार दोनों के लिए फायदेमंद है। इससे राज्य की वित्तीय स्थिरता भी बनी रहेगी और कर्मचारियों को एक सुरक्षित पेंशन प्रणाली का लाभ मिलेगा।