केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए चलाई जा रही सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS) में एक बड़ा सुधार किया है। सरकार ने 2,000 मेडिकल पैकेजों की नई दरें जारी कर दी हैं जो 13 अक्टूबर 2025 से लागू होंगी। इस कदम से लगभग 46 लाख लाभार्थियों को सीधा फायदा मिलेगा। इसके साथ ही निजी अस्पतालों को भी आर्थिक राहत मिलने की उम्मीद है क्योंकि अब इलाज की पुरानी दरों को आज के समय के हिसाब से अपडेट किया गया है।
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लंबे समय से थी शिकायतें
CGHS से जुड़े लाभार्थी पिछले कई सालों से यह शिकायत कर रहे थे कि अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं मिल रही। इलाज के खर्च के लिए उन्हें पहले अपनी जेब से भुगतान करना पड़ता था और रिफंड मिलने में कई महीने लग जाते थे। निजी अस्पतालों का कहना था कि सरकार द्वारा तय की गई पुरानी दरें अब मेडिकल ट्रीटमेंट के बढ़ते खर्चों के अनुसार बहुत कम हैं। नई दरें लागू होने के बाद अब अस्पतालों को वास्तविक लागत के अनुसार भुगतान मिलेगा, जिससे मरीजों को कैशलेस सुविधा आसानी से उपलब्ध कराई जा सकेगी।
2014 के बाद पहली बार बड़ा बदलाव
केंद्रीय सरकार की स्वास्थ्य योजना में आखिरी बार बड़ा बदलाव साल 2014 में किया गया था। पिछले दस सालों में केवल कुछ मामूली सुधार हुए, लेकिन व्यापक दर संशोधन नहीं किया गया था। इस साल अगस्त में सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉइज यूनियन (GENC) ने सरकार को ज्ञापन सौंपकर यह मुद्दा उठाया कि कैशलेस इलाज न मिलने से कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है, खासकर मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में। इसी के बाद सरकार ने यह महत्वपूर्ण फैसला लिया है।
2,000 मेडिकल पैकेज में बदलाव से कैसे होगा फायदा
CGHS के तहत लगभग 2,000 तरह के मेडिकल ट्रीटमेंट शामिल हैं। इनमें ऑपरेशन, डायग्नोस्टिक टेस्ट, दवाएं और अन्य स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं। पुराने रेट्स के कारण निजी अस्पताल मरीजों को कैशलेस सुविधा देने से बचते थे, लेकिन अब नए पैकेज लागू होने के बाद यह दिक्कत खत्म हो जाएगी। नई दरों से अस्पतालों को उचित मुआवजा मिलेगा और मरीजों को बेहतर सेवा व कैशलेस इलाज का भरोसा भी मिलेगा।
शहरों की श्रेणी और अस्पताल की गुणवत्ता के आधार पर नई दरें
सरकार द्वारा जारी नए निर्देशों के अनुसार, पैकेज रेट शहरों की कैटेगरी और अस्पतालों की क्वॉलिटी के हिसाब से तय की गई हैं। टियर-II शहरों में दरें बेस रेट से 19 प्रतिशत कम होंगी जबकि टियर-III शहरों में यह 20 प्रतिशत कम रहेंगी। NABH (National Accreditation Board for Hospitals) से मान्यता प्राप्त अस्पताल बेस रेट पर सेवाएं देंगे, जबकि नॉन-NABH अस्पतालों को बेस रेट से 15 प्रतिशत कम भुगतान मिलेगा। वहीं, 200 से अधिक बेड वाले सुपर-स्पेशियल्टी अस्पतालों को 15 प्रतिशत अधिक दर का लाभ दिया जाएगा। इससे छोटे और बड़े अस्पतालों के बीच संतुलन भी बना रहेगा।
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सरकार का उद्देश्य
सरकार का कहना है कि इस सुधार का उद्देश्य न केवल कर्मचारियों को राहत देना है बल्कि CGHS व्यवस्था को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाना भी है। नई दरें लागू होने से न केवल लाभार्थियों को समय पर इलाज मिलेगा, बल्कि अस्पतालों और सरकार के बीच भुगतान से जुड़ी जटिलताएं भी कम होंगी।