GST 2.0 के बाद साबून, तेल-शैम्पू की कीमत क्यों नहीं हुई कम, जानें क्या है गड़बड़ी?

देश में GST 2.0 लागू होने के बाद सरकार की उम्मीद थी कि आम लोगों को रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स में राहत मिलेगी और बाजार में वस्तुओं की कीमतें घटेंगी। लेकिन अब FMCG सेक्टर में इसका असर उलटा देखने को मिल रहा है। कंपनियों और डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच दरअसल विवाद गहरा गया है। कंपनियों का कहना है कि डिस्ट्रीब्यूटर्स ने नई टैक्स दरों को सही से लागू नहीं किया, जबकि डिस्ट्रीब्यूटर्स का आरोप है कि कंपनियों ने चुपचाप कुछ उत्पादों की बेस प्राइस बढ़ा दी, जिससे ग्राहकों को GST कटौती का फायदा नहीं मिल सका।

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छोटे पैक में सबसे ज्यादा गड़बड़ी

इंडस्ट्री सूत्रों के अनुसार ₹20 से कम कीमत वाले पैक में सबसे ज्यादा गड़बड़ी सामने आई है। ये वही उत्पाद हैं जो ग्रामीण इलाकों और छोटे कस्बों में अधिक बिकते हैं। एक प्रमुख डिस्ट्रीब्यूटर ने बताया कि वे वही रेट पास करते हैं जो कंपनी के सिस्टम में दिखाई देते हैं। कई कंपनियों ने कुछ चुनिंदा पैक्स की बेस प्राइस बढ़ाकर GST कम होने के बावजूद MRP को यथावत रखा है।

सरकार ने दिखाई सख्ती

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) और उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। CBIC ने चेतावनी दी है कि जिन कंपनियों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने GST कटौती के बाद भी कीमतें नहीं घटाईं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार की ओर से अब तक 800 से अधिक ब्रांड्स को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। इन्हें 20 अक्टूबर तक अपनी मूल्य गड़बड़ियां सुधारने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, CCPA अब तक करीब 2,000 उपभोक्ता शिकायतें CBIC को भेज चुका है।

बड़ी कंपनियों का सफाई बयान

हिन्दुस्तान यूनिलीवर (HUL) ने कहा कि उन्होंने पूरी तरह GST कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाया है। कंपनी का तर्क है कि पुराने और नए MRP वाले उत्पाद कुछ समय तक साथ बिक सकते हैं। ग्राहकों को सलाह दी गई है कि वे खरीदारी के समय रिवाइज्ड MRP अवश्य देखें। HUL ने बताया कि उन्होंने टैक्स लाभ को या तो कीमत घटाकर या उत्पाद के वजन और वॉल्यूम में बढ़ोतरी करके पास किया है।

Colgate-Palmolive की मैनेजिंग डायरेक्टर प्रभा नरसिम्हन ने कहा कि उनकी कंपनी ने 22 सितंबर से ही नई दरों के हिसाब से वितरण शुरू कर दिया था और नवंबर के पहले सप्ताह तक सभी बाजारों में नई कीमतें दिखाई देंगी।

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स भी जांच के घेरे में    

कई उपभोक्ताओं की शिकायतें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से जुड़ी हैं। CBIC की एक विशेष टीम अब ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर ट्रांजैक्शन्स की जांच कर रही है, जहां टैक्स दरों में कमी के बावजूद कीमतों में बदलाव नहीं किया गया। एक अधिकारी के अनुसार, अधिकांश प्लेटफॉर्म्स ने नई टैक्स दरों के हिसाब से रेट लिस्ट अपडेट की है, लेकिन कुछ उत्पादों में विसंगतियां अब भी मौजूद हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट का सख्त रुख

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि अगर किसी कंपनी ने GST घटने के बाद MRP में कमी नहीं की और केवल उत्पाद की मात्रा बढ़ा दी, तो यह उपभोक्ताओं को भ्रमित करने जैसा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि टैक्स कटौती का उद्देश्य ग्राहकों को राहत देना है, और वह तभी पूरा होता है जब वस्तुओं की कीमतें वास्तव में घटें।

छोटे पैक में बदलाव मुश्किल क्यों?

कंपनियों का कहना है कि ₹1, ₹2 और ₹5 वाले छोटे पैक्स में MRP बदलना प्रैक्टिकली कठिन है। इसका कारण सिक्कों की कमी, पैकेजिंग लागत और बाजार में रिटेलिंग स्ट्रक्चर से जुड़ा है। परफेटी वैन मेल (Perfetti Van Melle) ने बताया कि उनके अधिकांश उत्पाद Re 1 में बिकते हैं। कुछ उत्पादों में उन्होंने कीमत घटाई है जबकि बाकी में ग्राम बढ़ाकर GST का लाभ दिया है। हिमालया वेलनेस के मुताबिक उन्होंने नई दरें लागू होते ही रिटेल चैनलों पर नई कीमतें लागू कर दी थीं।

विशेषज्ञों की राय

टैक्स विशेषज्ञ मनीष मिश्रा का कहना है कि FMCG सेक्टर में जहां उत्पादों की कीमत कम और वॉल्यूम ज्यादा होता है, वहां तुरंत MRP घटाना हमेशा संभव नहीं होता। इसमें लॉजिस्टिक और प्रैक्टिकल चुनौतियां भी होती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस क्षेत्र में थोड़ी लचीलापन दिखाना चाहिए ताकि व्यवधान न बढ़े

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उपभोक्ताओं की नाराजगी

गोलघर में खरीदारी करने आई अंजली गुप्ता ने कहा कि टीवी और अखबारों में सुनते हैं कि GST घट गया, लेकिन दुकानों पर जाकर देखें तो कीमतें वही हैं। मोहद्दीपुर निवासी राजेश मिश्रा ने कहा कि सरकार ने राहत दी, लेकिन दुकानदारों ने फायदा खुद रख लिया। उपभोक्ता की जेब पर असर नहीं दिख रहा।

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