पहले एनपीएस में इक्विटी में निवेश की सीमा तय थी, लेकिन नए नियमों के तहत अब निवेशक चाहें तो 100 फीसदी पैसा शेयर बाजार में लगा सकते हैं। हालांकि यह विकल्प ज्यादा रिटर्न की संभावना तो देता है, लेकिन इसके साथ जोखिम भी बढ़ जाएगा। यह पूरी तरह निवेशक की पसंद पर निर्भर करेगा कि वे कितना हिस्सा इक्विटी में लगाना चाहते हैं।
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एमएसएफ और पीआरएएन नंबर की सुविधा
निवेशकों को अब मल्टीपल स्कीम फ्रेमवर्क (MSF) के तहत पीआरएएन नंबर (PRAN Number) मिलेगा। इसके जरिए वे अलग-अलग स्कीम्स को आसानी से मैनेज कर सकेंगे। इससे निवेश प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी और उपयोगी बनेगी।
आंशिक निकासी और नई विड्रॉल पॉलिसी
एनपीएस (NPS) में पहले पैसा केवल रिटायरमेंट पर ही मिलता था, लेकिन अब निवेशक कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे शिक्षा, शादी और मेडिकल इमरजेंसी में आंशिक निकासी कर सकेंगे। वहीं रिटायरमेंट पर पहले 60 फीसदी रकम एकमुश्त मिलती थी और 40 फीसदी एन्युटी में जाती थी। अब निवेशक 80 फीसदी रकम एकमुश्त निकाल सकते हैं और 20 फीसदी एन्युटी लेना होगा। टैक्स नियम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। एकमुश्त निकासी में 60 फीसदी टैक्स फ्री होगी, जबकि 20 फीसदी रकम टैक्स स्लैब में आएगी।
एग्जिट नियम में राहत
पहले एनपीएस से बाहर निकलने का विकल्प केवल रिटायरमेंट के बाद था, लेकिन अब निवेशकों को 15 साल पूरे होने पर भी एग्जिट लेने की सुविधा मिलेगी। इससे निवेशकों को फंड मैनेजमेंट में ज्यादा स्वतंत्रता मिलेगी।
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कौन कर सकता है निवेश
एनपीएस केवल सरकारी कर्मचारियों तक सीमित नहीं है। इसमें प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी और आम नागरिक भी निवेश कर सकते हैं। यह स्कीम लंबे समय में सेवानिवृत्ति सुरक्षा और पेंशन लाभ के लिए बेहतर विकल्प है।