महिंद्रा स्कॉर्पियो क्लासिक (Mahindra Scorpio Classic) भारतीय बाजार में अपनी अलग पहचान बना चुकी एसयूवी है। मजबूत डिजाइन, दमदार परफॉर्मेंस और शानदार रोड प्रेजेंस के चलते यह ग्राहकों की पहली पसंद बनी हुई है। लॉन्च के बाद से अब तक इसने भारतीय एसयूवी बाजार में अपना दबदबा बनाए रखा है। अगर आप इस एसयूवी को खरीदने का मन बना रहे हैं तो इसकी फाइनेंस डिटेल आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। यहां जानिए कि 4 लाख रुपये डाउन पेमेंट करने पर स्कॉर्पियो क्लासिक की मासिक किस्त कितनी होगी।
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Mahindra Scorpio Classic की खूबियां
महिंद्रा की यह एसयूवी अपने मस्कुलर डिजाइन और दमदार रोड परफॉर्मेंस के लिए जानी जाती है। 4456 मिमी लंबी, 1820 मिमी चौड़ी और 1995 मिमी ऊंची यह कार हर तरह की सड़क पर आराम से चलने के लिए बनाई गई है। 209 मिमी का ग्राउंड क्लीयरेंस इसे ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर भी शानदार बनाता है। इसमें 2184 सीसी का 4 सिलेंडर इंजन दिया गया है जो 130 बीएचपी की पावर और 300 एनएम का टॉर्क जनरेट करता है। माइलेज की बात करें तो यह लगभग 14.44 किलोमीटर प्रति लीटर देती है। साथ ही 60 लीटर का फ्यूल टैंक और 460 लीटर का बूट स्पेस इसे लंबे सफर के लिए आदर्श बनाता है।
Mahindra Scorpio Classic की कीमत और वेरिएंट्स
महिंद्रा स्कॉर्पियो क्लासिक को कंपनी चार वेरिएंट्स में उपलब्ध कराती है। इसकी एक्स-शोरूम कीमत 12.98 लाख रुपये से शुरू होकर 16.70 लाख रुपये तक जाती है। यह एसयूवी केवल डीजल इंजन में आती है। अगर दिल्ली में इसके बेस वेरिएंट S की बात करें तो इसकी एक्स-शोरूम कीमत 12,97,701 रुपये है। इसमें 1,62,212 रुपये रोड टैक्स, 79,265 रुपये इंश्योरेंस और 12,977 रुपये अन्य खर्चों के जुड़ने के बाद ऑन-रोड कीमत 15,52,155 रुपये हो जाती है।
EMI और लोन डिटेल
अगर आप 4 लाख रुपये डाउन पेमेंट करते हैं तो आपको 11,52,155 रुपये का लोन बैंक से लेना होगा। 7 साल की अवधि के लिए 10 प्रतिशत ब्याज दर पर यह लोन लिया जाए तो आपकी मासिक किस्त 19,127 रुपये होगी। सात साल की अवधि में आपको कुल 4,54,525 रुपये ब्याज चुकाना होगा। इस हिसाब से आपकी गाड़ी की कुल कीमत 20,06,680 रुपये तक पहुंच जाएगी।
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लोन की अवधि और EMI में बदलाव
ध्यान रहे कि मासिक किस्त इस बात पर निर्भर करती है कि डाउन पेमेंट कितनी की गई है, लोन की अवधि कितनी है और ब्याज दर कितनी तय की गई है। अगर आप डाउन पेमेंट की रकम को बढ़ाते हैं तो EMI घट जाएगी। वहीं लोन की अवधि कम करने पर EMI थोड़ी ज्यादा होगी, लेकिन ब्याज का बोझ कम पड़ेगा।