दक्षिण पूर्व रेलवे में स्टाफ की कमी, लोको पायलट कर रहे 12 घंटे से ज्यादा ड्यूटी!

Loco pilot shortage in South Eastern Railway. देश में भारतीय रेलवे एक बड़ा नेटवर्क संचालित करता है, जो देश के कई बड़े शहरों से लेकर हर स्थान के लिए आने जाने का सुगम जरिया बन गया है। तो वही सामने आई खबरों में जानकारी हैरान करने वाली है। दक्षिण पूर्व रेलवे में लोको पायलटों के 5163 पद रिक्त हैं जिसके कारण कर्मचारी मानसिक व शारीरिक रूप से दबाव में काम करने को मजबूर हैं। इस खुलासे के बाद में हर कोई दंग रह गया है।

तो वही रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने रेलवे पर बड़ा आरोप लगाया है। इस एसोसिएशन का कहना है पूरे जोन में रनिंग स्टाफ के सभी संवर्गों में काफी रिक्तियां हैं। इसके कारण लोको व सहायक लोको पायलटों की ड्यूटी की उचित निगरानी नहीं की जा रही है। सभी मानदंडों को पालन नहीं किया जाता है, तो वही लंबे समय तक ड्यूटी करने के लिए उन्हें मजबूर किया जा रहा है।

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यहां से मिलता है ज्यादा राजस्व

दरअसल आप को बता दें कि रेलवे भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, सबसे खास बात तो यह है कि दक्षिण पूर्व रेलवे सहित चक्रधरपुर मंडल सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला जोन है। इसके बावजूद यहां रनिंग कर्मचारियों की स्थिति काफी चिंताजनक है जो दुर्घटनाओं को न्यौता दे रही है। ऐसे में आल इंडिया रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने एक पत्र पिछले दिनों रेल महाप्रबंधक को सौंपा है। जिसमें इस बात को उजागर किया गया है।

नहीं हो रही भर्तियां

इस एसोसिएशन ने आगे कहा कि कर्मचारी लंबी ड्यूटी में काम करने से इंकार करते हैं उनके खिलाफ गैर कानूनी कार्रवाई भी की जा रही है। यह बेहद ही गंभीर विषय बना जाता है।

एसोसिएशन का कहना है जोन में ट्रेनों की आवृत्ति बढ़ रही है लेकिन क्रू संख्या की समीक्षा नहीं की जा रही है जिसके कारण प्रत्येक क्रू लाबी में काम का अतिरिक्त काम बढ़ गया है, इसके साथ ही कई रनिंग कर्मचारियों को 12 घंटे से भी अधिक ड्यूटी करने पर मजबूर किया जाता है, जबकि सभी मंडलों में उनके ओवरटाइम की राशि दो साल से अधिक समय से लंबित है।

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इस एसोसिएशन के इस मामले के उजागर करने से रेलवे में कई संख्या में कर्मचारियों की कमी है, जिसे हर हालत में सुधार और भर्ती की जानी चाहिए, जिससे रेल कर्मचारियों के काम का बोझ कम हो सकें। 

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