नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने बड़ा फैसला किया है। अब एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर दायरे में किसी भी नई बिल्डिंग का नक्शा तभी पास होगा, जब वह एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) की गाइडलाइन के अनुसार होगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि हवाई पट्टी और उड़ान के रास्ते में किसी तरह की रुकावट न आए और सुरक्षा मानकों का पालन हो सके।
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कलर-कोडेड मैप बनेगा आधार
AAI पहले ही एक कलर-कोडेड जोनिंग मैप जारी कर चुका है, जिसमें साफ बताया गया है कि किस इलाके में कितनी ऊंचाई तक और किस तरह का कंस्ट्रक्शन संभव होगा। इसी मैप को अब अनिवार्य मानते हुए YEIDA नक्शों की मंजूरी देगा। इस व्यवस्था को सही ढंग से लागू करने के लिए YEIDA एक विशेषज्ञ कंसल्टेंट भी नियुक्त करने जा रहा है, जो पूरे क्षेत्र का सर्वे करेगा।
रियल एस्टेट सेक्टर पर सीधा असर
इस नए नियम से रियल एस्टेट मार्केट में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। एयरपोर्ट के नजदीकी इलाके में निर्माण गतिविधियां सीमित हो जाएंगी। इससे नई प्रॉपर्टी की सप्लाई कम होगी जबकि मांग पहले से अधिक रहेगी। नतीजतन, मौजूदा जमीन, फ्लैट और मकानों की कीमतों में बढ़ोतरी लगभग तय मानी जा रही है।
पुराने प्रोजेक्ट्स के लिए फायदे का सौदा
वे बिल्डर जिनके प्रोजेक्ट पहले ही मंजूर हो चुके हैं या वे लोग जिन्होंने इस इलाके में पहले से मकान और फ्लैट खरीद रखे हैं, उनके लिए यह फैसला वरदान साबित हो सकता है। उनकी प्रॉपर्टी को प्रीमियम लोकेशन का टैग मिलेगा और उसकी कीमत अपने आप बढ़ जाएगी।
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नए निवेशकों के लिए बढ़ी चुनौती
जो बिल्डर या निवेशक आने वाले समय में नए प्रोजेक्ट्स लाने की सोच रहे थे, उन्हें अब और सतर्क रहना होगा। हर नए नक्शे को पास कराने के लिए AAI की मंजूरी जरूरी होगी। इस प्रक्रिया में समय ज्यादा लगेगा और प्रोजेक्ट्स में देरी भी तय है। यही वजह है कि निवेशकों को अपनी खरीदी हुई जमीन या प्लॉट के कानूनी और तकनीकी पहलुओं को अच्छी तरह जांचना होगा, वरना भविष्य में परेशानी बढ़ सकती है।