नई दिल्ली: एशिया कप 2025 में श्रीलंका टीम के ऑलराउंडर दुनिथ वेल्लालागे का अफगानिस्तान के खिलाफ मैच खत्म होते ही खुशी का पल दुख में बदल गया। उन्हें मैदान से बाहर निकलते ही अपने पिता के निधन की खबर मिली, जो उनके हेड कोच सनथ जयसूर्या ने दी। वेल्लालागे ने तुरंत श्रीलंका लौटने का फैसला किया, और इस घटना ने क्रिकेट फैंस को एक बार फिर यह याद दिलाया कि खेल की दुनिया में भी इंसानियत हमेशा सबसे पहले होती है।
ऐसा पहला मौका नहीं है जब खिलाड़ियों को अपने परिवार से जुड़े दुखद समाचार के बीच खेलना पड़ा। भारतीय क्रिकेट इतिहास में भी कई ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने अपने परिवार के नुकसान के बावजूद खेल को जारी रखा।
साल 1999 में इंग्लैंड में खेले गए वनडे वर्ल्ड कप के दौरान सचिन तेंदुलकर को अपने पिता के निधन की खबर मिली थी। उन्होंने अपने पिता की अंतिम विदाई के लिए देश लौटना पड़ा, लेकिन बाद में वापसी कर जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच मिस करने के बाद केन्या के खिलाफ 140 रनों की शानदार पारी खेली और इसे अपने पिता को समर्पित किया।
मौजूदा समय में अफगानिस्तान के स्टार गेंदबाज राशिद खान की कहानी भी प्रेरक है। साल 2018 में ऑस्ट्रेलिया में बिग बैश लीग खेलते समय उन्हें अपनी मां के निधन की खबर मिली थी। इस मुश्किल समय में राशिद ने देश लौटने के बजाय टीम के लिए खेलना जारी रखा, और अपने साहस से कई खिलाड़ियों के लिए मिसाल कायम की।
भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज को भी ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान अपने पिता के निधन की खबर मिली थी। कोरोना प्रोटोकॉल के चलते वह तुरंत वापस नहीं लौटे और अपनी टेस्ट डेब्यू सीरीज में ब्रिस्बेन के गाबा स्टेडियम में टीम इंडिया की ऐतिहासिक जीत में अहम भूमिका निभाई।
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान विराट कोहली भी अपने क्रिकेट करियर के शुरुआती दिनों में ऐसे दर्दनाक पल से गुजरे। साल 2006 में रणजी ट्रॉफी मैच के दौरान उन्हें पिता के निधन की खबर मिली। अगले दिन उन्होंने 90 रन की बेहतरीन पारी खेलकर अपनी टीम को फॉलोऑन से बचाया और बाद में अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
इन घटनाओं ने साबित किया कि क्रिकेट के मैदान पर खिलाड़ियों की हिम्मत और लगन कभी भी परिवार और जिंदगी के संघर्षों से कमजोर नहीं होती। दुनिथ वेल्लालागे की कहानी भी इसी सिलसिले की एक नई कड़ी है।