एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी 2025 के चौथे टेस्ट के दौरान भारतीय टीम को बड़ा झटका लगा जब विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत गंभीर चोट के कारण खेल से बाहर हो गए। चोट इतनी गंभीर थी कि वे दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने भी नहीं उतर सके। हालांकि टीम को रिप्लेसमेंट का मौका नहीं मिला, जिससे भारत को रणनीतिक नुकसान उठाना पड़ा। इस घटना ने बीसीसीआई को गहराई से सोचने पर मजबूर किया और घरेलू क्रिकेट में एक ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत हुई।
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बीसीसीआई का नया नियम
बीसीसीआई ने खिलाड़ियों की सुरक्षा और खेल की निष्पक्षता को ध्यान में रखते हुए एक नया नियम लागू किया। इस नियम के अनुसार यदि किसी खिलाड़ी को मैच के दौरान सीरियस इंजरी होती है, तो उसे रिप्लेसमेंट दिया जाएगा। नियम में साफ कहा गया है कि चोट खेल क्षेत्र में बाहरी झटके से होनी चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप खिलाड़ी फ्रैक्चर, गहरी चोट, या अव्यवस्था जैसी गंभीर स्थिति में मैच से बाहर हो जाए। ऐसे में टीम को समान स्किल वाले खिलाड़ी का विकल्प मिलेगा ताकि खेल का संतुलन बिगड़े नहीं।
दिलीप ट्रॉफी में नियम का पहला इस्तेमाल
नए नियम का सबसे पहला इस्तेमाल दिलीप ट्रॉफी 2025 के सेमीफाइनल मुकाबले में हुआ। वेस्ट जोन के विकेटकीपर हार्विक देसाई को क्वाड्रिसेप्स इंजरी के कारण मैच छोड़ना पड़ा। ऐसे में टीम को सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट के रूप में महाराष्ट्र के विकेटकीपर बल्लेबाज सौरभ नवले को शामिल किया गया। इस बदलाव के साथ सौरभ नवले भारतीय क्रिकेट इतिहास के पहले सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट खिलाड़ी बन गए। हालांकि उनका प्रदर्शन खास नहीं रहा और वे दूसरी पारी में केवल 9 रन बनाकर आउट हो गए, लेकिन उनके नाम यह अनोखा रिकॉर्ड हमेशा के लिए दर्ज हो गया।
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खिलाड़ियों की सुरक्षा पर बड़ा कदम
यह नियम खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अक्सर देखा गया है कि चोटिल खिलाड़ी के बाहर होने से टीम को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। रिप्लेसमेंट का विकल्प मिलने से टीम के पास संतुलन बनाए रखने का मौका रहेगा और खिलाड़ियों पर चोटिल होने के बावजूद खेलने का दबाव नहीं होगा। यह बदलाव घरेलू क्रिकेट से शुरू हुआ है, लेकिन भविष्य में इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनाए जाने की उम्मीद है।