देश में त्योहारों और शादियों का मौसम आते ही जूलरी शोरूम्स में भीड़ बढ़ जाती है। सोना-चांदी खरीदना महिलाओं के लिए एक परंपरा नहीं है बल्कि निवेश का एक सुरक्षित विकल्प भी माना जाता है। लेकिन अक्सर लोग जब सोने और चांदी की खरीददारी कर लेते हैं, तो बिल देखकर हैरान हो जाते हैं कि जूलरी की तय कीमत से ज्यादा पैसा क्यों देना पड़ता है, इसके पीछे की वजह GST और मेकिंग चार्ज लगा होना होता है।
अगर आप हाल फिलहाल के दिनों में सोने चांदी की खरीदारी करने जा रहे हैं, आप के लिए जानना जरुरी हो जाता हैं कि आखिर सोने-चांदी पर कितना GST लगता है।हाल ही में सरकार ने कई वस्तुओं पर GST दरों में बदलाव किया है, लेकिन सोना और चांदी पर टैक्स की दर अभी भी वही है।
आप के लिए ध्यान देने वाली बात तो यह हैं कि देश में गोल्ड पर 3% जीएसटी लगता है। जिसमें 1.5% सेंट्रल GST और 1.5% स्टेट GST शामिल होता है जो सिक्के बिस्किट या फिर ज्वैलरी हो हर प्रोडक्ट पर लगता है। इसके अलावा ज्वैलरी बनवाने पर मेकिंग चार्ज और फिर उस पर भी 5% जीएसटी (GST on Gold) लगता है।
कैसे बढ़ जाता है बिल
दरअसल आप को बता दें कि सोने की बेसिक कीमत के ऊपर मेकिंग चार्ज और GST जुड़ते हैं। इसी वजह से जो फाइनल बिल दुकानदार बनाता हैं, तो कीमत बढ़ जाती हैं। जिससे ग्राहक को सोने के असली दाम से कहीं ज्यादा बिल चुकाना पड़ता है। यहां पर उदाहरण के तौर पर आप को समझा रहे हैं।
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जैसे कि किसी ने एक गोल्ड नेकलेस सेट खरीदा जिसका वजन 25.5 ग्राम है। सितंबर 2025 में 22 कैरेट सोने का रेट ₹9,745 प्रति ग्राम चल रही है। इस हिसाब से नेकलेस का बेस प्राइस ₹2,48,498 हुआ। यदि यहां पर ₹1,000 प्रति ग्राम के हिसाब से मेकिंग चार्ज लग जाता है, तो कुल मेकिंग चार्ज ₹25,500 हो जाता है। जिसके बाद में टोटल ₹2,73,998 होता है। इस पर 3% GST लगेगा, जो ₹8,220 के करीब होगा। आप का यहां पर खरीदने गई जूलरी का फाइनल बिल ₹2,82,218 आएगा। जिससे आप के पूरी तरह से समझ आ गया है, कि कैसे जीएसटी और मेकिंग चार्ज जोड़ा गया है।