बुजुर्गों में बढ़ा हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टिंग का ट्रेंड, लेकिन ध्यान रखें ये अहम बातें

Senior Citizens Health Insurance. आज के समय में हर किसी के लिए हेल्थ इंश्योरेंस जरुरी हो गया है, जिससे एक समय था जब उम्रदराज लोगों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना भी मुश्किल माना जाता था। कंपनियां या तो उन्हें कवर नहीं देती थीं या प्रीमियम इतना ज्यादा होता था जिससे  पॉलिसी खरीदना संभव ही नहीं था। हालांकि अब तस्वीर बदल चुकी है। आज के दौर में बुजुर्ग न केवल आसानी से हेल्थ इंश्योरेंस प्लान ले पा रहे हैं, बल्कि अगर उन्हें मौजूदा कंपनी की सेवाओं में कमी दिखती है तो फटाफट दूसरी कंपनी में अपनी पॉलिसी पोर्ट भी करवा रहे हैं। हालांकि हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टिंग ऐसी बातों का ध्यान रखना चाहिए, वरना परेशानी बढ़ सकती है।

दरअसल हाल ही में आए पॉलिसीबाजार.कॉम के आंकड़ों के मुताबिक, बीते दो वर्षों में बुजुर्गों के बीच हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टिंग के मामलों में 11% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ऐसे में क्या आप ऐसा करने जा रहे है, जिससे आगे क्या पॉलसी में प्रभाव पड़ सकता है, यह जानना जरुरी है।

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क्या है फायदेमंद है हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टिंग

यह जरूरी नहीं कि हर बुजुर्ग पॉलिसीधारक के लिए पॉलिसी पोर्ट करना लाभकारी साबित हो। क्योकि अगर आपने अपनी मौजूदा पॉलिसी में कई बार क्लेम लिया है, तो नई कंपनी शायद आपको कवर देने से मना कर दें

इसी तरह, अगर पहले से ही गंभीर बीमारियां हैं, तो पोर्टिंग की प्रक्रिया मुश्किल हो सकती है, क्योंकि नई कंपनी ऐसे मामलों में अतिरिक्त जोखिम लेने से बचती है।

हम यहां पर मान ले कि आप हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टिंग करने की सोच रहे हैं, तो ये जानकारी आप को होनी चाहिए।

वेटिंग पीरियड का हिसाब

हेल्थ इंश्योरेंस में वेटिंग पीरियड बेहद अहम शर्त होती है। यानी नई पॉलिसी खरीदने पर कुछ खास बीमारियों पर एक तय समय तक क्लेम नहीं लिया जा सकता। अच्छी बात यह है कि पॉलिसी पोर्टिंग के दौरान आपके पिछले इंश्योरर कंपनी के साथ बिताया गया वेटिंग पीरियड आपके नए इंश्योरर में भी जुड़ जाता है। इससे आपको दोबारा शुरू से वेटिंग नहीं करनी पड़ती।

मोराटोरियम बेनिफिट

इंश्योरेंस पॉलिसियों में 5 साल का एक मोराटोरियम पीरियड होता है। इस अवधि के बाद बीमा कंपनी आपकी पुरानी बीमारी या जानकारी छिपाने के आधार पर क्लेम खारिज नहीं कर सकती, जब तक कि धोखाधड़ी साबित न हो। पॉलिसी पोर्टिंग में पहले की कंपनी के साथ गुजारा गया मोराटोरियम पीरियड भी नए इंश्योरर के साथ कंटीन्यू रहता है।

नो-क्लेम बोनस का फायदा भी मिलेगा

अगर आपने साल-दर-साल अपनी पॉलिसी में क्लेम नहीं लिया है तो बीमा कंपनियां आपको नो-क्लेम बोनस (NCB) देती हैं। यह आमतौर पर बीमा राशि में बढ़ोतरी के रूप में जुड़ता है। पॉलिसी पोर्टिंग के दौरान आपका यह बोनस भी नई कंपनी की पॉलिसी में ट्रांसफर हो जाता है।

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रखें इन बातों का ध्यान?

  • जिस कंपनी में पॉलिसी पोर्ट करा रहे हैं, उससे सभी शर्तें लिखित में जरूर लें।
  • नई कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो जरूर जांचें।
  • यह भी देखें कि कंपनी के नेटवर्क में कितने और किस तरह के अस्पताल शामिल हैं।

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