महिलाओं में तेजी से बढ़ रही कोरोनरी आर्टरी डिजीज, जानिए एंजाइना के लक्षण और खतरे

Angina Symptoms. आज के समय में हर किसी के लिए जरुरी है कि आने वाले हेल्थ अपडेट पर नजर रखें, जिससे आप को कई बड़ी परेशानी होने से पहले जानकारी हो जाएगी। तो वही दिल की बीमारियों को लंबे समय से पुरुषों की समस्या माना जाता रहा है, लेकिन अब सामने आए आंकड़े और रिसर्च बताते हैं कि महिलाएं भी कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) से उतनी ही प्रभावित हो रही हैं। भारत में यह बीमारी मौत का एक बड़ा कारण बन चुकी है और खासकर महिलाओं में इसके लक्षण अक्सर नज़रअंदाज कर दिए जाते हैं। नतीजा यह होता है कि इलाज में देरी होने के वजह से गंभीर स्थिति जैसे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

भारत में है गंभीर स्थिति!

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस मामले में बड़ा आंकड़ा जारी किया है, जिससे संगधन के अनुसार, साल 2022 में भारत में 47.7 लाख से ज्यादा मौतें कोरोनरी आर्टरी डिजीज के कारण हुईं। यह आंकड़ा दिखाता है कि देश में दिल की बीमारियों का बोझ कितना बड़ा है।

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तो वही विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते लक्षणों को पहचानना और इलाज कराना ही इससे बचाव का सबसे कारगर तरीका है। तो अधिकतर लोगों को इसके बारे में तो जानकारी भी नहीं होती है।

महिलाओं पर अलग असर

तो वही एबॅट इंडिया की मेडिकल अफेयर्स हेड डॉ. रोहिता शेट्टी के मुताबिक, कोरोनरी आर्टरी डिजीज का असर महिलाओं और पुरुषों पर अलग-अलग हो सकता है। महिलाएं अक्सर एंजाइना यानी सीने में दर्द या दबाव जैसे लक्षणों से गुजरती हैं, लेकिन जानकारी की कमी या सामाजिक कारणों के वजह से इसकी परेशानी किसी को नहीं बताती है, जिससे समय पर डॉक्टर तक नहीं पहुंच पातीं। कई बार महिलाएं थकान, गर्दन या जबड़े में दर्द जैसे लक्षणों को सामान्य मानकर अनदेखा कर देती हैं, जबकि ये दिल की बीमारी के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।

क्या हैं एंजाइना के मुख्य लक्षण?

महिलाओं में एंजाइना के लक्षण अलग और अक्सर भ्रमित करने वाले हो सकते हैं। इसमें सीने में दर्द, भारीपन या दबाव महसूस होना आम है। इसके अलावा जबड़े या गर्दन में दर्द, असामान्य थकान और सीने के बाहर असुविधा भी दिखाई देती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में इन लक्षणों की पहचान करना मुश्किल होता है।

क्यों बढ़ता है खतरा?

मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार, 75 साल की उम्र के बाद हार्ट डिजीज के मामलों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा हो जाती है। मोटापा, हार्मोनल बदलाव और लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतें इस खतरे को और बढ़ा देती हैं। रिसर्च में भी ऐसी जानकारी सामने आई है, जोकि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में 50% ज्यादा संभावना होती है कि उनकी बीमारी की सही समय पर पहचान नहीं हो पाए।

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समय पर इलाज से बचाव

डॉक्टरों का कहना है कि अगर कोरोनरी आर्टरी डिजीज का शुरुआती चरण में पता चल जाए तो इसे कंट्रोल करना संभव है। सही इलाज से न केवल बीमारी बढ़ने से रोकी जा सकती है, जिससे महिलाएं अगर सीने में दर्द, अचानक थकान या गर्दन-जॉ में असुविधा महसूस करें तो तुरंत जांच करानी चाहिए।

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