इस राज्य में अब 9 नहीं, 12 घंटे करना होगा काम, विपक्ष ने कही ये बड़ी बात!

गुजरात विधानसभा में हाल ही में एक बड़ा विधेयक पारित किया गया है, जिससे इसकी आलोचना भी शुरु हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायकों के समर्थन से इंडस्ट्रियल शिफ्ट टाइमिंग को मौजूदा 9 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे प्रतिदिन करने संबंधी संशोधन विधेयक को पारित कर दिया। ‘कारखाना (गुजरात संशोधन) विधेयक 2025’ महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ शाम सात बजे से सुबह छह बजे के बीच नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति देता है। हालांकि इस विधेयक का विपक्षी पार्टियों ने पूरे जोर से विरोध किया है।

आप को बता दें कि जुलाई में इसके लिए अध्यादेश जारी किया गया था, जो अब यह विधेयक बहुमत से पारित हो गया। हालांकि, विपक्षी पार्टी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कंपनी श्रमिकों के लिए 12 घंटे प्रतिदिन करने का विरोध किया।

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विधेयक पेश करते हुए उद्योग मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य निवेश और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना है। ताकि अधिक आर्थिक गतिविधियां और रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें।

उद्योग मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने कही ये बात

काम के घंटों में वृद्धि और श्रमिकों के शोषण से संबंधित चिंताओं को दूर करते हुए उद्योग मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने स्पष्ट किया कि सप्ताह में कुल काम के घंटे 48 घंटे से कम ही रहेंगे। मंत्री ने कहा, इसका मतलब यह है कि यदि श्रमिक चार दिन 12 घंटे काम करते हैं और 48 घंटे का काम पूरा करते हैं तो उन्हें शेष तीन दिन के लिए सवेतन अवकाश मिलेगा।

विपक्ष ने लगाया मजदूरों के शोषण का आरोप

तो वही इस विधेयक को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने कड़ा विरोध जताया। कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने आरोप लगाया कि सरकार मजदूरों का शोषण कर रही है।

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मेवाणी ने कहा असल में फैक्टरियों में 9 घंटे के नियम का पालन पहले से ही नहीं होता। मजदूर पहले ही 11–12 घंटे तक काम करने को मजबूर हैं। अब अगर नियम 12 घंटे का कर देंगे तो उन्हें 13–14 घंटे तक काम कराना आसान हो जाएगा।

मेवाणी के मुताबिक लंबे काम के घंटे मजदूरों के स्वास्थ्य और जीवन पर गंभीर असर डालेंगे क्योंकि उन्हें पर्याप्त आराम और नींद नहीं मिल पाएगी।

मालिकों के हित में है कानून- AAP

तो वही वहीं, AAP विधायक गोपाल इटालिया ने भी इस संशोधन का विरोध करते हुए कहा कि यह विधेयक मजदूरों के हित में नहीं, बल्कि फैक्ट्री मालिकों के फायदे के लिए लाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उद्योगपतियों को खुश करने के लिए मजदूरों के सुविधाओं की अनदेखी कर रही है।

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