चांदी या ETF बेचने पर सरकार को देना होता है इतना टैक्स, जानकर होगी हैरानी!

धनतेरस और दिवाली से पहले की खरीदारी के मौसम में चांदी की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है। इस कीमती धातु की चमक इस बार न सिर्फ आभूषण बाजार में बल्कि निवेश की दुनिया में भी दिख रही है। जहां सोना लगातार रिकॉर्ड बना रहा है। वहीं चांदी भी तेजी से नई ऊंचाइयों को छू रही है। त्योहारों के इस समय में भारत के कई शहरों में चांदी की कीमतें अपने सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गई हैं, जिससे निवेशकों में उत्साह और बाजार में हलचल दोनों बढ़ गए हैं।

इसे भी पढ़ें- नई जगह या बैंक बदल गया? बिना ब्याज खोए ऐसे करें ट्रांसफर करें अपना PPF Account

निवेशकों का झुकाव चांदी की ओर क्यों बढ़ा

silver or ETF income tax rules

चांदी को लंबे समय से एक सुरक्षित और स्थायी निवेश माना जाता है। इस साल इसकी तेजी का कारण बढ़ती औद्योगिक मांग और निवेशकों की बढ़ती रुचि है। जैसे-जैसे धनतेरस और दिवाली नजदीक आ रहे हैं, लोग न केवल परंपरा के लिए बल्कि भविष्य की कमाई के दृष्टिकोण से भी चांदी में निवेश कर रहे हैं। कई म्यूचुअल फंड कंपनियों ने जहां गोल्ड ETF में नए निवेश अस्थायी रूप से रोक दिए हैं। वहीं निवेशक अब सिल्वर ETF और डिजिटल सिल्वर की ओर रुख कर रहे हैं।

चांदी में निवेश करने के तीन खास तरीके

चांदी में निवेश के तीन प्रमुख माध्यम हैं। पहला फिजिकल सिल्वर जिसमें सिक्के, बार और आभूषण शामिल हैं। दूसरा डिजिटल सिल्वर जिसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से खरीदा जा सकता है। और तीसरा सिल्वर ETF जो म्यूचुअल फंड की तरह स्टॉक एक्सचेंज पर कारोबार किया जाता है। इन तीनों माध्यमों के अपने फायदे और टैक्स नियम हैं, जिनकी जानकारी निवेशक के लिए जरूरी है।

चांदी बेचने पर कितना टैक्स देना होगा

सिल्वर ETF को पूंजीगत संपत्ति की श्रेणी में रखा गया है। अगर इसे 12 महीने या उससे अधिक समय तक रखा जाए तो इससे होने वाले लाभ को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाता है और इस पर 12.5% की दर से टैक्स लगाया जाता है। वहीं अगर निवेशक 12 महीने से पहले बेच देते हैं तो यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा और टैक्स उनकी आयकर स्लैब दर के अनुसार लगेगा।

फिजिकल चांदी जैसे कि सिक्के, बार और आभूषण के लिए यह अवधि थोड़ी अधिक है। अगर इन्हें 24 महीने या उससे अधिक समय तक रखा जाए तो 12.5% की दर से LTCG टैक्स लगता है। लेकिन अगर 24 महीने से पहले बेचा जाए तो उस पर STCG के रूप में स्लैब दरों पर टैक्स देना पड़ता है।

इसे भी पढ़ें- IND vs AUS 2025: रोहित-विराट के बल्ले से ऑस्ट्रेलिया में निकलेंगे ‘रॉकेट शोट्स’, आंकड़े कर रहे सबकुछ साफ

चांदी पर GST और मेकिंग चार्ज का प्रभाव

silver or ETF income tax rules

भौतिक चांदी की खरीद पर 3% जीएसटी देना जरूरी है। वहीं अगर आप चांदी के आभूषण खरीदते हैं तो आपको मेकिंग चार्ज भी चुकाना पड़ता है, जो जीएसटी के दायरे में आता है। जीएसटी परिषद ने सोने और चांदी दोनों पर 3% की दर बरकरार रखी है। इस फैसले से त्योहारों और शादी के सीजन में खरीदारों को शुद्धता मिलती है, जब भारत में सर्राफा बाजार की मांग चरम पर होती है।

Leave a Comment