Diwali Bonus. दिवाली का मौसम आते ही ज्यादातर कर्मचारियों की खुशी दोगुनी हो जाती है। क्योंकि इस समय कंपनियां बोनस, गिफ्ट या इंसेंटिव देकर त्योहार की खुशियां बढ़ाती हैं। हालांकि इस खुशी के साथ एक छोटा सा ‘टैक्स ट्विस्ट’ भी आता है। बहुत से लोग नहीं जानते कि हर दिवाली बोनस या गिफ्ट कर-मुक्त नहीं होता। इसलिए यह समझना ज़रूरी है कि कौन-सा लाभ टैक्स फ्री है और कौन-सा आपकी जेब हल्की कर सकता है। लोगों को कम जानकारी होने से परेशानी भी हो सकती है।
अगर आप एमएनसी में नौकरी करते है, जिससे आप को दिवाली पर बोनस मिलने वाला है, जिससे आप के लिए यह खबर खास हो जाती है। हम यहां पर बता रहे है कि कंपनियों के द्धारा दिए गए इस समय बोनस पर टैक्स की देनदारी बनती है या नहीं है।
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नकद बोनस पर लगेगा टैक्स
अगर आपको कंपनी की तरफ से दिवाली पर नकद बोनस मिलता है, तो ध्यान रखें यह पूरी तरह से कर योग्य (Taxable) होता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी को ₹30,000 का दिवाली बोनस मिला है, तो यह रकम उसके वार्षिक वेतन में जुड़ जाएगी और उसी टैक्स स्लैब के हिसाब से कर लगेगा। नकद बोनस पर किसी भी तरह की अलग छूट नहीं दी जाती। इसलिए इसे अपने आयकर रिटर्न (ITR) में ज़रूर शामिल करें, ताकि आगे चलकर किसी नोटिस या पेनल्टी लग सकता है।
गिफ्ट वाउचर या वस्तु रूप में उपहार पर टैक्स?
कई बार नियोक्ता नकद के बजाय दिवाली पर गिफ्ट, वाउचर या गैजेट देते हैं। ऐसे उपहारों पर टैक्स की स्थिति उनके मूल्य पर निर्भर करती है। यदि किसी कर्मचारी को सालभर में कंपनी की ओर से मिलने वाले उपहारों का कुल मूल्य ₹5,000 तक है, तो यह पूरी तरह से टैक्स-फ्री रहता है।
लेकिन जैसे ही यह सीमा पार होती है, जिससे उदाहरण के तौर पर ₹8,000 या ₹10,000 का स्मार्टवॉच, मोबाइल या ज्वेलरी तो पूरा मूल्य पर टैक्स देनदारी बन जाती है। यानी ₹8,000 का गिफ्ट भी पूरा टैक्स के दायरे में आएगा, केवल ₹3,000 का अंतर नहीं है।
कैसे जुड़गी सैलरी इनकम
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तो वही आयकर नियमों के अनुसार, सभी नकद बोनस और कर योग्य उपहारों को कर्मचारी की सैलरी इनकम का हिस्सा माना जाता है। इसीलिए नियोक्ता TDS (Tax Deducted at Source) काट सकता है, और यदि नहीं काटा, तो कर्मचारी को खुद अपनी रिटर्न में इसकी सही जानकारी देनी चाहिए।