SIP का जादू, सिर्फ 10,000 रुपये महीना जमा करके बना सकते हैं 60 लाख का फंड, जानें

भारतीय शेयर बाजार में लगातार उतार-चढ़ाव के बावजूद निवेशकों का विश्वास म्यूचुअल फंड्स की सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) में लगातार बढ़ता जा रहा है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि सितंबर 2025 में SIP के जरिए 29,361 करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जो अगस्त के 28,265 करोड़ रुपये से ज्यादा है। यह दर्शाता है कि आम निवेशक बाजार की अस्थिरता के बावजूद नियमित निवेश के सिद्धांत को अपना रहे हैं।

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म्यूचुअल फंड में भारी निवेश का सिलसिला

SIP investment

सितंबर में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में कुल 30,421 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। यह पिछले महीनों की तुलना में अधिक है, जिससे साफ है कि निवेशकों की प्राथमिकता अभी भी लंबी अवधि के रिटर्न पर केंद्रित है। SIP निवेशकों को कंपाउंडिंग का बेहतरीन फायदा देता है, जिससे समय के साथ निवेश की वैल्यू तेजी से बढ़ती है।

10,000 रुपये महीने की SIP से कितना बनेगा फंड

अगर कोई व्यक्ति हर महीने 10,000 रुपये की SIP शुरू करता है और औसतन 12% वार्षिक रिटर्न की उम्मीद रखता है तो 15 साल में यह रकम लगभग 47.59 लाख रुपये बन सकती है। वहीं अगर रिटर्न 15% सालाना मिलता है, तो फंड की वैल्यू करीब 61.63 लाख रुपये तक पहुंच सकती है। यही कारण है कि फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स SIP को एक स्मार्ट और अनुशासित निवेश तरीका मानते हैं।

लंबी अवधि में क्यों फायदेमंद है SIP

SIP का सबसे बड़ा फायदा इसका कंपाउंडिंग इफेक्ट है। जितना लंबा समय निवेशित रहेगा, उतनी तेजी से निवेश की राशि बढ़ेगी। यह निवेशकों को धीरे-धीरे एक बड़ा कॉर्पस बनाने में मदद करता है। साथ ही हर महीने की फिक्स्ड इन्वेस्टमेंट मार्केट की वोलैटिलिटी को संतुलित करती है, जिससे औसत रिटर्न बेहतर हो जाता है।

शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर

SIP म्यूचुअल फंड्स पूरी तरह से शेयर बाजार की स्थिति पर निर्भर करते हैं। अगर बाजार में तेजी रहती है तो रिटर्न भी बेहतर मिलते हैं, जबकि मंदी के समय घाटा भी हो सकता है। हालांकि लंबी अवधि में मार्केट की ग्रोथ इस जोखिम को संतुलित कर देती है। निवेशकों को समझना चाहिए कि SIP एक लंबी अवधि की योजना है, न कि त्वरित मुनाफे का साधन।

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टैक्स और अन्य सावधानियां

SIP investment

SIP से मिलने वाले रिटर्न पर कैपिटल गेन टैक्स देना होता है। इक्विटी फंड्स में एक साल से पहले पैसा निकालने पर शॉर्ट टर्म टैक्स लगता है, जबकि एक साल से ज्यादा अवधि के निवेश पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है। इसलिए अपने वित्तीय लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए निवेश को लंबे समय तक जारी रखना ही सबसे समझदारी भरा कदम होता है।

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