10 Rupee Rare Note: साल 1918 का वह समय था जब दुनिया प्रथम विश्व युद्ध की विभीषिका झेल रही थी। इसी दौरान एक ब्रिटिश जहाज SS Shirala, जो ब्रिटिश इंडिया स्टीम नेविगेशन कंपनी का हिस्सा था, लंदन से बॉम्बे की ओर जा रहा था। जहाज में शराब, किराने का सामान, युद्ध सामग्री और भारतीय करेंसी नोट जैसे कई कीमती सामान लदे थे। लेकिन यात्रा के बीच जर्मन यू-बोट ने इस जहाज पर हमला कर दिया और टॉरपीडो से इसे समुद्र की गहराइयों में डुबो दिया।
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जब समुद्र ने बचा लिए दो नोट
इस त्रासदी में सब कुछ डूब गया, लेकिन चमत्कारिक रूप से दो 10 रुपये के भारतीय नोट बच गए। ये नोट पानी में बहते हुए किनारे तक पहुंच गए और इतिहास का हिस्सा बन गए। ये नोट 25 मई, 1918 को जारी किए गए थे और बिना किसी साइन के थे। माना जाता है कि ये नोट जिस बंडल में बंधे थे, उसके बीच में होने के कारण सीधा पानी नहीं लगा और कागज की गुणवत्ता बेहतरीन होने की वजह से वे खराब नहीं हुए।
नीलामी में लगा 12 लाख से ज्यादा का दाम
Noonans Mayfair ऑक्शन हाउस ने 29 मई 2024 को World Banknotes Sale में इन दोनों नोटों को नीलामी के लिए पेश किया। अनुमान लगाया गया था कि इनकी कीमत £2,000-£2,600 (लगभग ₹2.10-2.70 लाख) के बीच मिलेगी। लेकिन इतिहास ने इन नोटों को कहीं ज्यादा मूल्यवान बना दिया। नीलामी में पहला नोट 6.90 लाख रुपये और दूसरा 5.80 लाख रुपये में बिका, यानी दोनों की कुल कीमत 12 लाख रुपये से भी अधिक रही।
क्यों खास हैं ये 10 रुपये के नोट
इन नोटों की खासियत केवल उनकी उम्र या दुर्लभता नहीं है, बल्कि उनके पीछे छिपी कहानी है। ये नोट उस दौर की याद दिलाते हैं जब युद्ध केवल सैनिकों के लिए ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों की संपत्तियों और जीवन के लिए भी विनाशकारी साबित हुआ था। दोनों नोट लगातार सीरियल नंबर वाले थे और करीब एक सदी तक पानी में रहने के बाद भी अपने आकार और छाप को बनाए रखे हुए थे।
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इतिहास का अनमोल हिस्सा
इन नोटों को केवल मुद्रा के रूप में नहीं देखा गया, बल्कि इन्हें इतिहास के साक्ष्य के तौर पर समझा गया। प्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में इनका बच जाना अपने आप में एक अनोखा संयोग है। इनकी नीलामी यह दर्शाती है कि इतिहास से जुड़ी वस्तुएं हमेशा अपनी असल कीमत से कहीं अधिक भावनात्मक और सांस्कृतिक मूल्य रखती हैं।