नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट का इतिहास ऐसे कई जादुई गेंदबाजों से भरा पड़ा है जिन्होंने अपने दम पर पूरी सीरीज का रुख बदल दिया. भारत हमेशा से स्पिन और स्विंग के लिए जाना जाता रहा है और कई बार हमारे गेंदबाजों ने विरोधी टीमों को पूरी तरह घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया. आज जानते हैं उन भारतीय बॉलर्स के बारे में जिन्होंने एक ही टेस्ट सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेकर नया इतिहास लिखा.
सबसे पहले नाम आता है भगवत चंद्रशेखर का, जिन्होंने 1972-73 की इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में 35 विकेट लेकर सबको चौंका दिया था. उनका बॉलिंग औसत 18.91 और इकॉनमी रेट 2.27 रहा. 8 विकेट पर 79 रन का उनका बेस्ट प्रदर्शन आज भी भारतीय क्रिकेट की सबसे यादगार स्पेल्स में गिना जाता है.
दूसरे नंबर पर हैं महान ऑलराउंडर विनू मांकड़, जिन्होंने 1951-52 की इंग्लैंड सीरीज में 34 विकेट झटके थे. उनकी गेंदबाजी का औसत 16.79 और इकॉनमी मात्र 1.53 रही. इंग्लिश बल्लेबाज उनकी धीमी गेंदों और सटीक लाइन लेंथ के सामने टिक ही नहीं पाए थे.
तीसरे स्थान पर हैं सुभाष गुप्ते, जिन्हें भारत के सबसे बेहतरीन लेग स्पिनर के रूप में याद किया जाता है. 1955-56 में न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने 34 विकेट लेकर कीवी टीम की कमर तोड़ दी थी. उनका बेस्ट फिगर 7/128 रहा, जिसने उन्हें क्रिकेट इतिहास में एक खास पहचान दिलाई.
आधुनिक दौर में भी भारतीय गेंदबाजों ने यह परंपरा कायम रखी है. जसप्रीत बुमराह ने ऑस्ट्रेलिया की धरती पर 2024-25 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 32 विकेट लेकर इतिहास रचा. उनका औसत सिर्फ 13.06 रहा, जो विदेशी जमीन पर किसी भी भारतीय तेज गेंदबाज का शानदार प्रदर्शन माना जाता है.
वहीं रविचंद्रन अश्विन ने 2020-21 की इंग्लैंड सीरीज में अपने स्पिन से कमाल कर दिया. उन्होंने 32 विकेट झटके और 6/61 का बेस्ट फिगर दर्ज किया. उनकी टर्न और वैरिएशन के सामने इंग्लिश बल्लेबाज पूरी तरह बेबस नजर आए.
इन सभी बॉलर्स ने यह साबित किया है कि चाहे वक्त कोई भी हो, भारतीय गेंदबाज हमेशा मैच का पासा पलटने की ताकत रखते हैं. इनके रिकॉर्ड न सिर्फ आंकड़ों में बल्कि भारतीय क्रिकेट की आत्मा में दर्ज हैं.